किस्सा नेताजी का: अशफाक अहमद ने कभी बदल दिया था राजनीति का रुख, फिर एक दिन जब अपने बेटों ने ही…

बरेली की कैंट विधानसभा से तीन बार विधायक रहे अशफाक अहमद ने एक समय पर रूहेलखंड की राजनीति को बदल कर रख दिया था, लेकिन समय बदला और...

By Prabhat Khabar Print Desk | December 15, 2021 10:10 AM

UP Chunav 2022: रूहेलखंड की राजनीति में अशफाक अहमद एमएलए का बड़ा कद हुआ करता था. वह विधायक हुए या नहीं, लेकिन उनकी पहचान अशफाक एमएलए के नाम से थी. अशफाक एमएलए चार बार कैंट से विधायक रहे थे. मगर, एक बार काफी उलझन में फंस गए.1996 के विधानसभा चुनाव में उनके बड़े बेटे इस्लाम साबिर खुद लड़ना चाहते थे, जबकि छोटे बेटे फईम साबिर अपनी कोशिश में लगे थे.

बड़े अंतर से जीत लिया 1996 का चुनाव

इसके बाद अशफाक अहमद अकेले में नेता जी (मुलायम सिंह यादव) से मिले और बोले, मेरे दोनों बेटे चुनाव लड़ने की कोशिश में लगे हैं. अगर, एक को भी टिकट दिया तो, यह दोनों एक-दूसरे को हरा देंगे. इसलिए आप मुझे टिकट दे दो. मुझे दोनों चुनाव लड़ा देंगे. मैं चुनाव जीत लूंगा. नेताजी ने भी उन्हें टिकट दिया. वह सात साल बाद यानी दो चुनाव छोड़कर सियासत में उतर गए. उन्होंने 1996 का चुनाव बड़े अंतर से जीत लिया.

चार बार बने विधायक

अशफाक अहमद ने कांग्रेस के टिकट पर 1969 के चुनाव में बरेली कैंट से जीत दर्ज की थी. इसके बाद 1977, 1980 और 1996 में जीत दर्ज कर विधानसभा पहुंचे थे.

दादा से लेकर पोता तक बना विधायक

रूहेलखण्ड की सियासत में यह सबसे सफल खानदान है. अशफाक अहमद खुद चार बार कैंट से विधायक बने. उनके भाई रफीक अहमद 1985 में विधायक चुने गए.जबकि उनके बेटे इस्लाम साबिर में 1991 में जीत दर्ज कर विधानसभा में आमद दर्ज कराई. 2002 के चुनाव में उनके पोते शहजिल इस्लाम विधायक बने. इसके बाद शहजिल इस्लाम भोजीपुरा सीट से 2007 और 2012 में जीत दर्ज की थी.

बरेली कैंट से यह चुने गए विधायक

बरेली कैंट विधानसभा 1957 के विधानसभा चुनाव में अस्तित्व में आई थी.पहले चुनाव में कांग्रेस के मुहम्मद हुसैन, 1962 में जनसंघ के रमा बल्लभ, 1969 में अशफाक एमएलए, 1974 में जनसंघ के बादाम सिंह, 1977 और 1980 में कांग्रेस से अशफाक एमएलए, 1985 में कांग्रेस से रफीक अहमद, 1989 में जनता दल से प्रवीण सिंह ऐरन, 1991 में कांग्रेस से इस्लाम साबिर, 1993 में सपा से प्रवीण सिंह ऐरन, 1996 में सपा से अशफाक एमएलए, 2002 में निर्दलीय शहजिल इस्लाम, 2007 में बसपा से वीरेंद्र सिंह, 2012 और 2017 में भाजपा से राजेश अग्रवाल ने जीत दर्ज की है.

रिपोर्ट : मुहम्मद साजिद

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