धनबाद के धनसार स्थित जगन्नाथ मंदिर में श्रद्धालुओं की लगती है भारी भीड़, जानें क्या है इसका महत्व

धनबाद के धनसार स्थित जगन्नाथ मंदिर के रथ यात्रा का हर साल भक्तों को इंतजार रहता है. रथयात्रा के दिन सुबह से ही हजारों की संख्या भक्त भगवान जगन्नाथ के रथ का रस्सा खींचने दूर दूर से आते हैं

By Prabhat Khabar | June 14, 2022 11:22 AM

धनबाद : धनसार स्थित जगन्नाथ मंदिर भक्तों की आस्था का केंद्र है. उड़िया समाज के साथ ही अन्य समाज के भक्त भी रथयात्रा का इंतजार करते हैं. रथयात्रा के दिन सुबह से ही हजारों की संख्या में भक्त भगवान जगन्नाथ के रथ का रस्सा खींचने दूर-दराज से मंदिर पहुंचते हैं. जगन्नाथ सेवा संघ की ओर से मंदिर का कार्यभार संभाला जाता है. संघ के सचिव महेश्वर राउत ने बताया कि 35 साल पहले पहली बार हावड़ा मोटर से रथयात्रा निकाली गयी थी. इस वर्ष एक जुलाई काे रथयात्रा निकाली जायेगी.

27 साल पहले हुआ था मंदिर का उद‍्घाटन :

तीन दिसंबर 1994 में जगन्नाथ मंदिर का उद‍्घाटन पुरी से आये राज पुरोहित व तत्कालीन विधायक पीएन सिंह की ओर से किया गया था. उद्योगपति स्वर्गीय बीपी अग्रवाल ने 1982 में 13 कट्ठा जमीन मंदिर के लिए दान की थी. फंड के अभाव में मंदिर का काम धीरे-धीरे किया जा रहा था. 12 साल में मंदिर बन कर तैयार हुआ था. आइसी बारीक, डॉ एनएम दास व महेश्वर राउत मंदिर के फाउंडर मेंबर हैं.

हावड़ा मोटर से निकली थी पहली रथयात्रा :

महेशवर राउत बताते हैं लगभग 35 साल पहले पहली बार हावड़ा मोटर से छोटे रूप में रथयात्रा निकाली गयी थी. रथयात्रा उस समय के स्टेशन मास्टर रमाकांत प्रधान की बंगला हिल कॉलोनी पहुंची थी. यहां से आठ दिन के बाद बाहुड़ा यात्रा निकाली गयी थी. बाहुड़ा यात्रा को उल्टा रथयात्रा कहते हैं.

उस वक्त भी भक्तों में रथयात्रा को लेकर गहरी आस्था थी. हिल कॉलोनी से उलटा रथयात्रा निकलकर हावड़ा मोटर्स आती थी. भक्त उत्साह व भक्तिभाव से रथयात्रा का स्वागत करते थे. पहले उत्कल सोसाइटी थी. मंदिर के उद‍्घाटन के बाद उत्कल सोसाइटी की जगह जगन्नाथ सेवा संघ बनायी गयी.

ये हैं सक्रिय सदस्य :

जगन्नाथ सेवा संघ के अध्यक्ष जीएस महापात्रा, सचिव महेशवर राउत, संयुक्त सचिव मनोरंजन बारीक, कोषाध्यक्ष रत्नाकर मल्लिक, व्यवस्थापक संजय सिंह, आरएन महापात्रा एवं संघ के सदस्यगण आज स्नान पूर्णिमा के बाद 14 दिनों के एकांतवास में जायेंगे प्रभु

14 जून को स्नान पूर्णिमा मनाया जायेगा. स्नान पूर्णिमा से रथयात्रा प्रारंभ हो जाती है. इस दिन भगवान जगन्नाथ 108 घट जल से स्नान कर बीमार पड़ जायेंगे. 14 दिनों के लिए उन्हें एकांतवास भेजा जायेगा. जहां उन्हें औषधीय काढ़ा पिलाकर जल्द स्वस्थ होने के लिए सेवा की जायेगी. 15वें दिन प्रभु एकांतवास से बाहर आयेंगे. प्रभु के स्वस्थ होने की खुशी में नेत्र उत्सव मनाया जायेगा. 29 जून को नेत्र उत्सव मनाया जायेगा. एक जुलाई को रथ यात्रा है. आठवें दिन आठ जुलाई को बाहुड़ा यात्रा ( उल्टी रथयात्रा) निकाली जोयगी.

Posted By: Sameer Oraon

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