झारखंड में नक्सली हो रहे हाईटेक, प्रचार-प्रसार में सोशल मीडिया का ले रहा सहारा, लैपटॉप और प्रिंटर से लैस है दस्ता का सदस्य

Jharkhand Naxal News (किरीबुरु, पश्चिमी सिंहभूम) : समय के साथ झारखंड में नक्सली भी अब हाईटेक होने लगे हैं. सोशल मीडिया के सहारे प्रचार-प्रसार को बढ़ावा दे रहे हैं. पिछले दिनों भाकपा माओवादी संगठन के दक्षिणी जोनल कमेटी के प्रवक्ता अशोक जी द्वारा जारी प्रेस रिलिज के साथ वीडियो भी प्रभात खबर को शेयर किया गया था. इसे देख यह अनुमान लगाया जा रहा है कि माओवादी अब संचार, कम्प्यूटर व सोशल मीडिया की सुविधाओं से निरंतर लैस होते हुए हाईटेक हो रहे हैं.

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 29, 2021 7:01 PM

Jharkhand Naxal News (किरीबुरु, पश्चिमी सिंहभूम) : समय के साथ झारखंड में नक्सली भी अब हाईटेक होने लगे हैं. सोशल मीडिया के सहारे प्रचार-प्रसार को बढ़ावा दे रहे हैं. पिछले दिनों भाकपा माओवादी संगठन के दक्षिणी जोनल कमेटी के प्रवक्ता अशोक जी द्वारा जारी प्रेस रिलिज के साथ वीडियो भी प्रभात खबर को शेयर किया गया था. इसे देख यह अनुमान लगाया जा रहा है कि माओवादी अब संचार, कम्प्यूटर व सोशल मीडिया की सुविधाओं से निरंतर लैस होते हुए हाईटेक हो रहे हैं.

नक्सली संगठन के चलंत मारक दस्ते लैपटॉप, प्रिंटर आदि सभी सुविधाओं से लैस हैं. इनके पास कंप्यूटर का बेहतर संचालन करने वाला जानकार भी है. उक्त संगठन के लोगों ने पश्चिम सिंहभूम जिला अंतर्गत टोंटो थाना क्षेत्र के रेंगड़ाहातु गांव में पिछले दिनों पुलिस-नक्सली के बीच हुई मुठभेड़ की घटना के बाद ग्रामीणों से नक्सलियों द्वारा की गयी बातचीत का वीडियो जारी किया है.

इस वीडियो को किसी जानकार व विशेषज्ञ द्वारा बेहतर तरीके से एडिट कर वीडियो के साथ हिंदी में लिखे स्क्रिप्ट को भी जोड़ा गया है. समय के साथ अपने आपको कंप्यूटर युग में परिवर्तित कर हाईटेक होना पुलिस-प्रशासन के लिए भविष्य में चुनौती साबित हो सकती है. नक्सली अपनी इस नयी तकनीक से जंगल के अंदर घटित होने वाली घटनाओं का बेहतर प्रचार-प्रसार कर पुलिस को परेशानी में डाल सकती है.

Also Read: झारखंड में जमशेदपुर के बाद सारंडा में दूसरी बार व देश में तीसरी बार मिली है दुर्लभ प्रजाति टैरेन्टुला मकड़ी, देखिए PICS

हालांकि, नक्सली इस तकनीक का इस्तेमाल कैसे तथा किन-किन कार्यों में कर रही है. उसकी पूरी जानकारी नहीं है. लेकिन जिस वीडियो को शेयर किया गया है उसे देख कर आभास लगाया जा रहा है कि अब नक्सली भी कंप्यूटर तकनीक से अपने को जोड़ने लगे हैं.

Posted By : Samir Ranjan.

Next Article

Exit mobile version