Jharkhand News: 70 हाथियों का झुंड मचा रहा था उत्पात, खदेड़ने के लिए एक घंटा तक रहा बंद नेशनल हाइवे

पूर्वी सिंहभूम के चाकुलिया में 70 हाथियों का झुंड उत्पात मचा रहा था. जिसके बाद मशाल, मोबिल लेकर वन विभाग की टीम झुंड को खदेड़ने में जुटी. इस दौरान एक घंटे तक नेशनल हाइवे में आवागमन बंद रहा.

By Prabhat Khabar Print Desk | May 7, 2023 2:04 PM

Jharkhand Elephant News: पश्चिम बंगाल और झारखंड की सीमा चाकुलिया, बहरागोड़ा प्रखंड क्षेत्र के लुगाहारा में 70 हाथियों का झुंड कई समूहों में बंटकर उत्पात मचा रहे थे. काफी मशक्कत के बाद वन विभाग की टीम ने शुक्रवार की रात हाथियों के झुंड को पश्चिम बंगाल के जंगलों में खदेड़ा.

50 की संख्या में स्पेशल क्यूआरटी टीम पहुंची लुगाहारा

इधर, शनिवार की रात पश्चिम बंगाल की ओर से हाथियों का झुंड फिर से झारखंड की ओर प्रवेश करने की तैयारी में था. सूचना पर रेंजर दिग्विजय सिंह ने 50 की संख्या में स्पेशल क्यूआरटी टीम तैयार की. जिसके बाद पूरे साजो सामान के साथ मशाल, मोबिल और हाथी भगाने वाले वाहन के साथ रेंजर के नेतृत्व में टीम लुगाहारा पहुंची.

नेशनल हाइवे के दोनों ओर वाहनों का आवागमन कराया बंद

झुंड में बंटकर हाथी पश्चिम बंगाल की ओर से प्रवेश करने लगे. लगभग एक दर्जन हाथियों का झुंड पश्चिम बंगाल की ओर से दारीशोल नेशनल हाइवे के पास पहुंच गया. इसके बाद टीम ने नेशनल हाइवे के दोनों ओर वाहनों का आवागमन बंद करा दिया.

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रात भर डटी रही वन विभाग की टीम

लगभग एक घंटा तक एनएच के दोनों ओर वाहनों का आवागमन बंद रहा. इसके बाद हाथियों का झुंड नेशनल हाइवे को पार कर दारीशोल की दूसरी ओर जंगल में प्रवेश कर गया. हाथी के अन्य झुंड को भी सुरक्षित जंगलों तक पहुंचाने के लिए वन विभाग की टीम रात भर झारखंड और पश्चिम बंगाल के सीमावर्ती क्षेत्र में डटी रही.

झारखंड में हाथियों की समस्या काफी पुरानी

बता दें कि झारखंड में हाथियों की समस्या काफी पुरानी है. राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में अक्सर हाथियों द्वारा उत्पात मचाने की खबरें आते रहती हैं. भोजन की तलाश में हाथी किसानों के खेत को रौंद देते हैं, कई बार घरों में घुस जाते हैं, तो कभी लोगों को कुचलकर या पटककर उनकी जान भी ले लेते हैं. ऐसे में वन विभाग हाथियों को सुरक्षित जंगल की तरफ भगाने का प्रयास करती है. वहीं ग्रामीणों को भी हाथी के निकट नहीं जाने की सलाह दी जाती है. समय-समय पर ग्रामीणों को पटाखे आदि भी दिये जाते हैं, ताकि उसका इस्तेमाल कर वे हाथी को दूर भगा सके.

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