कोरोना के भयावह दौर की सच्चाई बताती फिल्म ‘अंडमान’, निर्देशक स्मिता सिंह बोलीं- ‘हमने लोगों को मैसेज दिया है’

‘अंडमान’ फिल्म कोरोना संकट के समय की कहानी है. इसमें कोरोना संकट के उस दौर को भी दिखाया गया है, जिसकी कल्पना करने मात्र से हमारी रूह सिहर जाती है. फिल्म में संजय मिश्रा, राजेश तैलंग, आनंद राज, अनामिका कदंब, जय शंकर पांडेय भी अहम किरदार में हैं.

By Prabhat Khabar | December 29, 2021 4:27 PM

Kashi Film Festival: शिव नगरी वाराणसी में 27 दिसंबर से तीन दिवसीय काशी फिल्म महोत्सव का आयोजन हुआ. इसमें कई फिल्मी सितारे शामिल हुए. खास बात यह रही ओटीटी प्लेटफार्म opentheater.in पर रिलीज हुई फिल्म ‘अंडमान’ के राइटर आनंद और डायरेक्टर स्मिता सिंह से प्रभात खबर ने बात की. ‘अंडमान’ फिल्म कोरोना संकट के समय की कहानी है. इसमें कोरोना संकट के उस दौर को भी दिखाया गया है, जिसकी कल्पना करने मात्र से हमारी रूह सिहर जाती है. फिल्म में संजय मिश्रा, राजेश तैलंग, आनंद राज, अनामिका कदंब, जय शंकर पांडेय भी अहम किरदार में हैं.

प्रभात खबर से बात करते हुए ‘अंडमान’ फिल्म के राइटर आनंद ने बताया कि फिल्म को लिखने का ख्याल लॉकडाउन के दौरान आया था. एक बड़े प्रोडक्शन हाउस में राइटिंग कर रहा था. इसी बीच लॉकडाउन की वजह से काम आगे नहीं बढ़ पाया. इसके बाद एक थकान सी हो गई थी. फिर मैंने तय किया कि हम अपनी खुद एक फिल्म बनाएंगे. इसके बाद कहानी लिखनी शुरू की. उस समय लॉकडाउन के तकलीफों को मजदूरों के रूप में देखा, जिस तरह से मजदूर कोरेंटिन में रहते थे और जिंदगी जीने को विवश थे, उन सारी चीजों को ध्यान रखते हुए हमने ‘अंडमान’ फिल्म का निर्माण किया.

राइटर आनंद ने बताया कि इस फिल्म में मैंने यूपीएसपी की तैयारी कर रहे यूपी के छात्रों को भी ध्यान में रखकर किरदार को गढ़ा है. मैं खुद उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ से हूं. फिल्म को रिलीज करने में काफी दिक्कत हो रही थी क्योंकि हमारा कोई बड़ा नाम नहीं है. हमें ओटीटी पर भी जगह नहीं मिल रही थी. हमने खुद प्लेटफार्म opentheater.in बनाया. खास बात यह है कि जितनी बार कोई हमारी फिल्म देखेगा और किसी को रेफर करेगा हम उसे 50 रुपए उनके पेटीएम अकाउंट में भेज देंगे.

फिल्म की डायरेक्टर स्मिता सिंह ने बताया कि ‘अंडमान’ हमारी व्यवस्था पर कटाक्ष है. हमारी व्यवस्था की सच्चाई बता रही है. हम कितने भी विकसित होने की बातें करें. जाति व्यवस्था हमारे समाज को जकड़ी हुई है. कोई खास फर्क नहीं पड़ा है. जब दलित ग्राम प्रधान बोलता है- काम छोड़कर आए हैं, नहीं तो डांट खा जाएंगे. यह ग्रामीण भारत की सच्चाई है. एक पंचायत सचिव है, जो आईएएस में सलेक्ट नहीं हो पाया. कोरोना के लॉकडाउन में काम करता है. पंचायत सचिव एक गांव में है और वहां कोरेंटीन सेंटर बनता है. फिल्म में बहुत कुछ अच्छा है. पंचायत सचिव स्टैंड ले रहा है और उसमें दलित प्रधान को साथ लेता है. ‘अंडमान’ फिल्म से हमने सोशल मैसेज देने का काम भी किया है.

(रिपोर्ट:- विपिन सिंह, वाराणसी)

Also Read: काशी फिल्म महोत्सव का दूसरा दिन हेमा मालिनी के नाम, नृत्य प्रस्तुति ने दर्शकों को किया मंत्रमुग्ध

Next Article

Exit mobile version