कविता : राम हो, अभिमान हो
पढ़ें, शशांक भारद्वाज की कविता राम हो अभिमान हो.
By Prabhat Khabar Digital Desk |
January 24, 2024 9:27 PM
राम हो
...
राम हो
प्रणाम हो
अस्तित्व हो
अभिमान हो
आराध्य हो
शौर्य हो
मर्यादा हो
सम्मान हो
रक्षक हो
कृपा हो
पथ प्रदर्शक हो
प्राण हो
मूल्य हो
साहस हो
जीवन हो
प्रमाण हो
करुणा हो
आशीर्वाद हो
मांगलिक हो
मान हो
शुभ हो
पवित्र हो
यश हो
विजय गान हो
तुम हो
सब हो
नमन हो
भगवान हो
राम हो
प्रणाम हो.
– शशांक भारद्वाज-
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