बिहार की बेटी ज्योति ने साइकिलिंग फेडरेशन के ट्रायल में शामिल होने के लिए शुरू की प्रैक्टिस

लॉकडाउन के बीच अपने पिता को साइकिल पर बैठा कर हरियाणा के गुरुग्राम से दरभंगा पहुंचने वाली दरभंगा की ज्योति कुमारी इस समय पूरे बिहार चर्चा का विषय बनी हुई है. भारतीय साइकिलिंग फेडरेशन से ट्रायल के लिए न्योता आने के बाद ज्योति ने प्रैक्टिस शुरू कर दी है.

By Rajat Kumar | May 26, 2020 10:49 AM

दरभंगा : लॉकडाउन के बीच अपने पिता को साइकिल पर बैठा कर हरियाणा के गुरुग्राम से दरभंगा पहुंचने वाली दरभंगा की ज्योति कुमारी इस समय पूरे बिहार चर्चा का विषय बनी हुई है. पूरे देश के अलावा विदेशों में भी लोग उसके हौसले को सलाम कर रहे हैं. भारतीय साइकिलिंग फेडरेशन से ट्रायल के लिए न्योता आने के बाद ज्योति ने प्रैक्टिस शुरू कर दी है.

बता दें कि भारतीय साइकिलिंग फेडरेशन ने ज्योति को ट्रायल के लिए बुलाया था, पर अभी पूरी तरह से स्वस्थ्य ना होने का कारण उसने फेडरेशन से एक महीने बाद ट्रायल में आने की बात कही थी. अब साईकिल फेडरेशन के ऑफर को स्वीकार करते हुए ज्योति ने प्रैक्टिस शुरू कर दी है. प्रैक्टिस में ज्योति के पिता मोहन पासवान और परिवार के सदस्य मुकेश कुमार पासवान सहयोग करते है और तकनीकी बारीकियों को बताते है.

गौरतलब है कि 15 साल की ज्योति कुमारी अपने घायल पिता को साइकिल से सात दिनों में गुरुग्राम से दरभंगा 1,200 किमी की दूरी तय करके अपने गांव ले गयी थी. ज्योति की कहानी को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की बेटी इवांका ट्रंप ने अपने ट्वीटर अंकाउट से शेयर किया था. ज्योति की कहानी को ट्वीट करते हुए इवांका लिखा था कि यह भारतीयों की सहनशीलता और उनके अगाध प्रेम के भावना का परिचायक है और साइकलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया का ध्यान अपनी ओर खींचा है.

बता दें कि दरभंगा जिला के सिंहवाड़ा प्रखंड के सिरहुल्ली गांव निवासी मोहन पासवान गुरुग्राम में रहकर ऑटो चलाकर अपने परिवार का भरण-पोषण किया करते थे. हालांकि वे दुर्घटना के शिकार हो गये. सूचना मिलने के बाद अपने पिता की देखभाल के लिये 15 वर्षीय ज्योति कुमारी वहां चली गयी थी. इसी बीच कोरोना वायरस की वजह से देशव्यापी बंदी हो गयी. आर्थिक तंगी के मद्देनजर ज्योति ने साइकिल से अपने पिता को सुरक्षित घर तक पहुंचाने की ठानी. ज्योति अपने पिता को इस पुरानी साइकिल के कैरियर पर एक बैग लिये बिठाया और 8 दिनों की लंबी और कष्टदायी यात्रा के बाद अपने गांव सिरहुल्ली पहुंच गयी. ( इनपुट : दरभंगा से शिवेंद्र कुमार शर्मा )

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