बक्सर में जलकुंभी से तैयार किया जाएगा कंपोस्ट खाद, पौधों के लिए बनेगा जीवनदायिनी

नप प्रशासन इसको अमलीजामा पहनाने के लिए नगर विकास व आवास विभाग के यहां जल्द ही प्रस्ताव भेजेगा. विभाग द्वारा इस कार्ययोजना को मंजूरी मिलती है तो नप इस योजना को धरातल पर जल्द ही क्रियान्वयन करेगी.

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 22, 2022 5:11 AM

डुमरांव. जल-जीवन-हरियाली को कामयाब बनाने के लिए डुमरांव नगर पर्षद जलकुंभी से कंपोस्ट खाद बनायेगी. प्रकृति प्रदत्त जलकुंभी की समस्या को अवसर के रूप में बदलने के लिए मंथन का दौर जारी है. इससे बने कंपोस्ट खाद पौधों के लिए जीवनदायिनी के रूप में काम करेगा. साथ ही आमदनी और रोजगार का जरिया भी बनेगा.

जल्द भेजा जायेगा प्रस्ताव

नप प्रशासन इसको अमलीजामा पहनाने के लिए नगर विकास व आवास विभाग के यहां जल्द ही प्रस्ताव भेजेगा. विभाग द्वारा इस कार्ययोजना को मंजूरी मिलती है तो नप इस योजना को धरातल पर जल्द ही क्रियान्वयन करेगी. पिछले दिनों शहर के आठ तालाबों और आसपास के नदी-नालों से नप ने करीब तीस टन से अधिक जलकुंभी को साफ कराया था. बेहद तेज गति से फैलने वाले इस पौधे की साफ-सफाई में 80 सफाईकर्मियों को दस दिनों का समय लगा था.

जल प्रदूषण का खतरा बढ़ रहा है

जलकुंभी के बढ़ते प्रसार नप के लिए चुनौती बन गया है. बेहद तेज गति से फैलने वाले इस पौधे से ना केवल जल प्रदूषण का खतरा बढ़ रहा है बल्कि जलीय जीव-जंतु के लिए भी नासूर बनता जा रहा है. जलकुंभी हटाने के लिए प्रति वर्ष नप को हजारों रुपये खर्च करना पड़ता है. जानकारों की माने तो जलकुंभी के प्रकोप से नदी-नालों में जल प्रवाह 40 से 45 फीसदी घट जाता है और पानी भी दूषित होने लगता है. गर्मी और तपते सूर्य के कारण तालाब और जलाशय सूखने लगते है. इन पौधों के सड़ने से मच्छरों सहित अन्य विषैले जीव-जंतुओं का प्रसार होता है.

बरसात के दिनों में यह समस्या नासूर बन जाती है

बरसात के दिनों में यह समस्या और नासूर बन जाती है. जलकुंभी से बने कम्पोस्ट खाद पेड़-पौधों के अलावे गृह वाटिका में सब्जी, फल तथा सजावटी फूल-पौधों को जीवनदान देने के लिए उपयोग किया जा सकता है. इस खाद से पेड़-पौधों की जड़ो को नमी मिलता है और जड़े मजबूत होती है तथा जल के प्रदूषणों को अवशोषित करने की क्षमता होती है. इसमें 90 फीसदी पानी के अलावा कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, वसा, विटामिन ए, विटामिन सी, कैल्शियम आदि तत्व पाये जाते है.

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इन तालाबों में अधिक फैलता है जलकुंभी

शहर के महाकाल तालाब, प्रखंड कार्यालय तालाब, रामसूरत राय पोखरा, खिरौली पोखरा, नया भोजपुर पोखरा, पुराना भोजपुर पोखरा के अलावे सेंट्रल नाला के मुख्य भागों में वर्ष भर जलकुंभी का नजारा देखने को मिलता है. जल स्रोतों में तेजी से पैर पसारने वाले जलकुंभी के कारण पानी का बहाव ठप हो जाता है. इन जगहो नप द्वारा सफाई की जाती है. बरसात के दिनों में इन पौधों के जड़े सड़ने से डेंगू जैसे मच्छर तेजी से पनपते है.

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