इलाहाबाद हाईकोर्ट की गंभीर टिप्पणी, कहा- बेटे की अकाल मृत्यु पर सास-ससुर बहू को ठहराते हैं दोषी

Prayagraj News: इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने पति की मृत्यु पर पत्नी को अनुकंपा पर नियुक्ति मामले में सुनवाई करते हुए बड़ी टिप्पणी की है. कोर्ट ने कहा कि अधिकांश माता पिता बेटी की असमय मृत्यु के लिए बहू को दोषी ठहराते है.

By Prabhat Khabar | May 24, 2022 12:55 PM

Prayagraj News: इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने पति की मृत्यु पर पत्नी को अनुकंपा पर नियुक्ति मामले में सुनवाई करते हुए बड़ी टिप्पणी की है.कोर्ट ने कहा कि अधिकांश माता पिता बेटी की असमय मृत्यु के लिए बहू को दोषी ठहराते है.साथ ही पति की संपत्ति से वंचित रखने के लिए हर संभव प्रयास करने व उससे छुटकारा पाना चाहते हैं. यह टिप्पणी हाई कोर्ट जस्टिस सिद्धार्थ नाथ ने याची दीपिका शर्मा की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया.

याची ने जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी कुशीनगर से 2021 में पति की मृत्यु होने के बाद उनके स्थान पर अनुकंपा पर नियुक्ति की मांग की थी. याची के पति उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा बोर्ड के प्राइमरी स्कूल में 2015 में अध्यापक के रूप में नियुक्त किए गए थे. सितंबर 2021 में पति की मौत के बाद याची ने बेसिक शिक्षा अधिकारी कुशीनगर के समक्ष अनुकंपा नियुक्ति के लिए आवेदन किया था. याची का कहना है कि पति की मृत्यु के बाद उसके पास आय का कोई स्रोत नहीं है. साथ ही उसका 1 साल का बच्चा भी है जिसके भरण पोषण में उसे समस्या हो रही है.

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वहीं दूसरी ओर याची के ससुर का आरोप है कि याची उसके बेटे हो परेशान करती थी. जिस कारण वह बीमार होकर मर गया. इसके साथ ही मृतक के भाई ने भी याची पर आरोप लगाया है कि उसने फोन पर उसके भाई की गर्दन काटने की धमकी दी थी. एफआईआर में याची पर मृतक के भाई ने अन्य आरोप भी लगाए हैं. वहीं, याची ससुर ने कुशीनगर जिला शिक्षा बेसिक अधिकारी को अपने पक्ष में एक वसीयत भी भेजी थी. जिस कारण याची की अनुकंपा पर नियुक्ति लंबित रही.

कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा यूपी डाईंग इन हार्नेस में मरने वाले सरकारी सेवकों के आश्रितों की भर्ती नियम 1974 मृतक सरकारी सेवा के परिवार को पत्नी या पति बेटी और अविवाहित बेटी व विधवा बेटियों के रूप में परिभाषित करता है. कोर्ट ने कहा कि अनुकंपा पर पत्नी या पति, बेटे व विधवा बेटियों को ही नियुक्ति दी जा सकती है. कोर्ट ने मामले में सुनवाई करते हुए कहा कि इससे पहले याची के ससुर और देवर ने उस पर कोई आरोप नहीं लगाए थे. लेकिन बेटे की असमय मृत्य के बाद इस तरह के आरोप यह बताते है कि अधिकांश माता पिता बेटी की असमय मृत्यु के कारण बहू को ही जिम्मेदार ठहराते हैं.

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