AI कैसे बन रहा ‘मॉडर्न डे टीचर’, क्या यह ले पाएगा गुरुजी की जगह?
आजकल पढ़ाई-लिखाई का तरीका काफी बदल गया है. पहले जहां बच्चे सिर्फ किताबों, क्लासरूम और टीचरों से ही सीखते थे, वहीं अब उनके हाथ में मोबाइल या लैपटॉप होता है. उसमें गूगल खोल लो या कोई AI टूल, हर सवाल का जवाब तुरंत मिल जाता है. यही वजह है कि लोग इन्हें अब “मॉडर्न जमाने के टीचर” कहने लगे हैं.
आज के डिजिटल युग में पढ़ाई-लिखाई करने का तरीका बदल चुका है. पहले जहां ज्ञान सिर्फ किताबों, क्लासरूम और टीचरों तक सीमित था वहीं आज बच्चों के हाथ में मोबाइल या लैपटॉप है. उस पर खुला हुआ गूगल या कोई AI टूल हर सवाल का जवाब चुटकियों में दे देते हैं. इसी वजह से लोग इन्हें “मॉडर्न डे टीचर” भी कहने लगे हैं.
टीचर्स की भूमिका ले रहा AI
पहले पढ़ाई के ट्रेडिशनल तरीकों में टाइम और जगह की लिमिट थी. लेकिन गूगल और AI के आ जाने से यह रुकावटें खत्म हो गयी हैं. अब बच्चें कहीं भी बैठकर कुछ भी सीख सकते हैं. अब चाहे मैथ का मुश्किल सवाल हो या साइंस का कोई टफ कॉन्सेप्ट हो या फिर कोडिंग ही क्यों न हो, AI उसे आसान भाषा और स्टेप-बाय-स्टेप बारीक से समझा देता है.
यहां तक कि नई भाषा सीखनी हो, प्रोजेक्ट बनाना हो या करियर को लेकर गाइडेंस चाहिए हो ये टूल्स हर जगह काम आ रहे हैं. कभी ये सारे काम बच्चों को टीचर्स सीखाते या बताते थे अब ये AI टूल्स कर रहे हैं. ऐसा नहीं है की टीचर्स की भूमिका पूरी तरह से खत्म हो गयी हो पर हां कहीं न कहीं उनका भार AI टूल्स ने संभल लिया है.
क्या ये टूल्स टीचर्स की जगह ले पाएंगे?
एक्सपर्ट्स का कहना है कि गूगल और AI ने बच्चों की सीखने की क्षमता जरूर बढ़ाई है, लेकिन असली टीचर की अहमियत अब भी सबसे ज्यादा है. वजह ये है कि AI सिर्फ जानकारी दे सकता है, लेकिन असली समझ, अनुभव और जिंदगी से जुड़ी सीख सिर्फ इंसानी टीचर ही दे सकते हैं.
बच्चों पर AI का असर कैसा है?
इस बात को हमें भूलना नहीं चाहिए कि गूगल और AI ने पढ़ाई को मजेदार बना दिया है. बच्चे अब सिर्फ रटने पर नहीं, बल्कि कॉन्सेप्ट समझने पर ज्यादा फोकस कर रहे हैं. ऊपर से स्कूल और कॉलेज भी टेक्नोलॉजी अपना रहे हैं, ताकि बच्चों को स्मार्ट लर्निंग का माहौल मिल सके. आखिरकार कहा जा सकता है कि गूगल और AI टूल्स टीचर्स के असिस्टेंट की तरह हैं. ये नए रास्ते तो खोलते हैं, लेकिन असली दिशा और सही मूल्य तो वही टीचर दे सकता है, जो बच्चों को दिल से पढ़ाता है.
यह भी पढ़ें: 14 साल के सिद्धार्थ का AI हेल्थ ऐप, 7 सेकंड में लगाता है दिल की बीमारी का पता
यह भी पढ़ें: Top AI Tools 2025: सैम ऑल्टमैन का ChatGPT फिर बना चैम्पियन, एलन मस्क का Grok रह गया पीछे
