फिर आंदोलन की राह पर चाय श्रमिक

12 जून से 48 घंटे तक चाय उद्योग बंद रहेगा 29 मई को सभी बागानों में गेट मीटिंग जिला अधिकारी कार्यालय का भी होगा घेराव न्यूनतम मजदूरी शीघ्र तय करने की मांग सिलीगुड़ी : न्यूनतम मजदूरी तय करने सहित विभिन्न मांगों को लेकर डुवार्स के चाय श्रमिक एक बार फिर से आंदोलन पर उतारू हैं. […]

By Prabhat Khabar Print Desk | May 23, 2017 8:54 AM

12 जून से 48 घंटे तक चाय उद्योग बंद रहेगा

29 मई को सभी बागानों में गेट मीटिंग

जिला अधिकारी कार्यालय का भी होगा घेराव

न्यूनतम मजदूरी शीघ्र तय करने की मांग

सिलीगुड़ी : न्यूनतम मजदूरी तय करने सहित विभिन्न मांगों को लेकर डुवार्स के चाय श्रमिक एक बार फिर से आंदोलन पर उतारू हैं. विभिन्न चाय श्रमिक ट्रेड यूनियनों के संयुक्त फोरम का साफ-साफ कहना है कि अब चाय श्रमिक इंतजार नहीं कर सकते. राज्य सरकार ने चाय श्रमिकों की न्यूनतम मजदूरी तय करने सहित विभिन्न समस्याओं को दूर करने का सिर्फ आश्वासन दिया है, जबकि इस दिशा में कोई कार्रवाई नहीं की.

चाय श्रमिकों की स्थिति पहले की तरह ही बदहाल बनी हुई है. चाय श्रमिकों की समस्याओं को लेकर ज्वाइंट फोरम की एक बैठक चालसा में हुई. उसी में आंदोलन की रूपरेखा तय की गई है.

एक बार फिर से चाय श्रमिक आंदोलन करेंगे. इसकी शुरूआत 29 मई से ही हो जायेगी. चालसा के वेस्ट बंगाल टी गार्डन इंप्लाइज एसोसिएशन के भवन में आयोजित बैठक में ज्वाइंट फोरम के 17 ट्रेड यूनियनों के नेता शामिल हुए. बाद में संवाददाताओं से बातचीत करते हुए ज्वाइंट फोरम के सचिव जॉन बारला ने बताया कि 29 और 30 मई को सभी चाय बागानों में गेट मीटिंग की जायेगी. उसके बाद चाय श्रमिक विभिन्न चाय बागानों के गेट के बाहर विरोध प्रदर्शन करेंगे.

इसके अलावा 12 तथा 13 जून को चाय उद्योग में 48 घंटा बंद का आह्वान किया गया है. उन्होंने 13 जून को अलीपुरद्वार तथा जलपाईगुड़ी जिले में 12 घंटा बंद की भी धमकी दी. श्री बारला ने आगे कहा कि उसके बाद भी सरकार ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया, तो 29 जून को जिला अधिकारी कार्यालय का घेराव किया जायेगा.

उन्होंने जेल भरो आंदोलन शुरू करने की भी बात कही. उन्होंने आगे कहा कि न्यूनतम मजदूरी को लेकर त्रिपक्षीय बैठक को बार-बार टाल दिया जाता है. इससे पहले कोलकाता में यह बैठक हुई थी और उसमें चाय बागान मालिक शामिल नहीं हुए थे, जिसकी वजह से यह बैठक फेल हो गई.उन्होंने राज्य सरकार से तत्काल त्रिपक्षीय बैठक बुलाकर न्यूनतम मजदूरी तय करने की मांग की.

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