दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे इस बार विश्व विरासत घोषणा की 20वीं वर्षगांठ मनायेगा

सिलीगुड़ी : दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे (डीएचआर) इस बार विश्व विरासत घोषणा की 20वीं वर्षगांठ मना रहा है. यह वर्षगांठ यूनेस्को द्वारा 5 दिसंबर, 1999 को डीएचआर को विश्व विरासत स्थल घोषित किए जाने उपलक्ष्य में मनाया जा रहा है. मालूम हो कि यूनेस्को द्वारा दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे के शिलालेख में उल्लेखित किया गया है कि […]

By Prabhat Khabar Print Desk | November 9, 2019 2:18 AM

सिलीगुड़ी : दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे (डीएचआर) इस बार विश्व विरासत घोषणा की 20वीं वर्षगांठ मना रहा है. यह वर्षगांठ यूनेस्को द्वारा 5 दिसंबर, 1999 को डीएचआर को विश्व विरासत स्थल घोषित किए जाने उपलक्ष्य में मनाया जा रहा है. मालूम हो कि यूनेस्को द्वारा दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे के शिलालेख में उल्लेखित किया गया है कि 1881 में शुरू की गयी दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे हिल पैसेंजर रेलवे के रूप में पहला पैसेंजर रेल का विशिष्ट उदाहरण है जो अभी भी बरकरार है.

यहां पूरे पहाड़ी इलाके के सुंदर स्थलों में प्रभावी रेल लिंक स्थापित करने के लिए साहासिक और सरल इंजीनियरिंग का उपयोग किया गया है. यह अभी भी पूर्णरूप से क्रियाशील है और इसकी मूल विशेषताएं अक्षुण्ण है.यूनेस्को के उपरोक्त वाक्यों को सही ठहराते हुए विश्व प्रसिद्ध डीएचआर अभी भी सिलीगुड़ी के मैदानी भाग से दार्जिलिंग हिलकार्ट रोड के बीच चलती है.

उल्लेखनीय है कि इस हिलकार्ट रोड का निर्माण 1831 में भारतीय सेना के लेफ्टिनेंट नेपियर द्वारा कराया गया था. सिलीगुड़ी से दार्जिलिंग के बीच की यात्रा काफी मनोहारी है. जो प्रकृति प्रेमियों को आकर्षित करती है. पूरे विश्व के पर्यटक मुख्य रूप से दार्जिलिंग की यात्रा डीएचआर की सवारी का आनंद उठाने के लिए करते हैं.

Next Article

Exit mobile version