जमीन के अधिकार की आवाज बुलंद कर रहे चार युवा

नागराकाटा : कौन कहता है कि आसमान में सुराख नहीं हो सकता, जरा तबीयत से पत्थर तो उछालो यारों. कुछ इसी तरह का हौसला लेकर चाय बागान के चार युवा अपने बाप-दादों को चाय बागान की जमीन का पट्टा दिलाने के लिये कमर कस चुके हैं. चाय श्रमिक परिवार के चार युवक युवती चाय बागानों […]

By Prabhat Khabar Print Desk | August 22, 2019 1:30 AM

नागराकाटा : कौन कहता है कि आसमान में सुराख नहीं हो सकता, जरा तबीयत से पत्थर तो उछालो यारों. कुछ इसी तरह का हौसला लेकर चाय बागान के चार युवा अपने बाप-दादों को चाय बागान की जमीन का पट्टा दिलाने के लिये कमर कस चुके हैं. चाय श्रमिक परिवार के चार युवक युवती चाय बागानों की पदयात्रा पर निकले हैं.

बीते 15 अगस्त से राहुल कुमार, आशिक मुंडा, प्रियंका महाली और योगिता उरांव की टीम विभिन्न चाय बागानों की पदयात्रा कर श्रमिकों से हस्ताक्षर अभियान में शामिल करवा रहे हैं. इनकी यह पदयात्रा उत्तरबंगाल के मिनी सचिवालय उत्तरकन्या में हस्ताक्षरयुक्त ज्ञापन के सौंपे जाने से समाप्त होगी. इन युवाओं की इस पहल का सत्तापक्ष और विपक्ष दोनों से भरपूर सराहना मिल रही है.
मदारीहाट से विधायक एवं भाजपा नेता मनोज तिग्गा ने जहां कहा है कि वह इस साहसिक कदम में इन बच्चों के साथ हैं वहीं, तृणमूल के वरिष्ठ नेता मोहन शर्मा ने कहा है कि यह प्रशंसनीय कदम है. राज्य सरकार भी चाय बागान के श्रमिकों को जमीन का पट्टा दिलाने पर गंभीरतापूर्वक विचार कर रही है.
उल्लेखनीय है कि ये चारों युवा क्रमश: आटियाबाड़ी, डीमा, गाठिया और कालचीनी चाय बागान के निवासी हैं. तेज धूप हो या बारिश, ये चारों युवा इनकी परवाह किये बिना अपने लक्ष्य की ओर लगातार बढ़ रहे हैं. इनकी इस मुहिम को चाय बागान इलाकों में शानदार समर्थन भी मिल रहा है. और मिले भी क्यों नहीं, पिछले एक सौ से लेकर डेढ़ सौ साल से डुआर्स क्षेत्र में बसे ये श्रमिक आज तक जमीन के न्यूनतम अधिकार से भी वंचित हैं.
पदयात्रा के दौरान ही इन्होंने नागराकाटा से विधायक शुक्रा मुंडा से भेंट करनी चाही लेकिन वे मौजूद नहीं थे. उसके बाद इन्होंने वहां के बीडीओ से भेंटकर उन्हें ज्ञापन सौंपा है. ये विभिन्न प्रखंड के बीडीओ से मिलकर उन्हें भी ज्ञापन सौंप रहे हैं.
उल्लेखनीय है कि इसके पहले भी ये चारों युवा चाय श्रमिकों की बेहाल दशा को लेकर सरकारी स्तर पर कदम उठाये जाने की मांग को लेकर वर्ष 2018 में राहुल और आशिक ने दिल्ली तक की पदयात्रा की थी. उस दौरान उन्होंने 65 दिनों की पदयात्रा पूरी कर केंद्रीय मंत्री जुयेल ओराम से भेंटकर उन्हें ज्ञापन सौंपा था.
इस बार भी इनका लक्ष्य दो दिनों में उत्तरकन्या पहुंचने का है. नागराकाटा चाय बागान पहुंचने पर बुधवार की दोपहर को मकलेशर रहमान नामक युवक ने पदयात्रियों के भोजन के लिये सारी व्यवस्था की. चारों युवाओं का कहना है कि चाय श्रमिकों की जिंदगी पेंडुलम की तरह है.
जीवन में कोई निश्चयता नहीं है. बंश परंपरा से ही अंग्रेजों के जमाने से रहते आये इन श्रमिकों को जमीन से बेदखल करने में एक मिनट से भी अधिक समय नहीं लगेगा. चूंकि कानूनन इनका जमीन पर हक है ही नहीं. इनका मानना है कि जमीन का पट्टा मिलने पर चाय श्रमिकों का जीवन स्तर में काफी बदलाव आयेगा.

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