धरोहर शहर कूचबिहार को धूमिल कर रहा प्लास्टिक कचरे का अंबार

पंचानन बर्मा विश्वविद्यालय के भूगोल विभागाध्यक्ष ने प्लास्टिक के खतरों से किया आगाह कूचबिहार : धरोहर शहर कहे जानेवाले कूचबिहार में धड़ल्ले से प्लास्टिक और पॉलीथिन के कैरीबैग का उपयोग हो रहा है और यह पर्यावरण गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त कर रहा है. समय रहते अगर हम सचेत नहीं हुए तो यह भविष्य में गंभीर […]

By Prabhat Khabar Print Desk | August 18, 2019 3:41 AM

पंचानन बर्मा विश्वविद्यालय के भूगोल विभागाध्यक्ष ने प्लास्टिक के खतरों से किया आगाह

कूचबिहार : धरोहर शहर कहे जानेवाले कूचबिहार में धड़ल्ले से प्लास्टिक और पॉलीथिन के कैरीबैग का उपयोग हो रहा है और यह पर्यावरण गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त कर रहा है. समय रहते अगर हम सचेत नहीं हुए तो यह भविष्य में गंभीर संकट बन जायेगा. शनिवार को यह चेतावनी कूचबिहार पंचानन बर्मा विश्वविद्यालय के भूगोल विभागाध्यक्ष डॉ शशांक गायेन ने दी है.
उन्होंने कहा कि राजाओं द्वारा बसाया गया कूचबिहार एक सुनियोजित शहर है. यहां अनगिनत तालाब, सरोवर और नदियां हैं. लेकिन हमारी अदूरदर्शिता और लापरवाही से यह सुंदर और ऐतिहासिक विरासत का शहर कचरे के अंबार में तब्दील हो रहा है.
डॉ शशांक गायेन ने बताया कि प्लास्टिक कचरे ने शहर के नालों को जाम कर रखा है. एक तरफ जहां प्लास्टिक और पॉलीथिन कैरीबैग के उपयोग से पर्यावरण क्षतिग्रस्त हो रहा है, वहीं भूगर्भ जल का स्तर तेजी से कम हो रहा है. आनेवाले समय के लिए यह खतरे की घंटी है. पर्यावरण को शुद्ध और सुरक्षित रखने के लिए प्लास्टिक का उपयोग बंद करना होगा. उन्होंने बताया कि एक अनुमान के मुताबिक कूचबिहार के 20 बाजारों में प्रतिदिन औसतन 200 किलो प्लास्टिक कैरीबैग का इस्तेमाल हो रहा है.
यह स्थिति बेहद चिंताजनक है. जबकि इसके ठीक विपरीत दक्षिण भारत के राज्यों में प्लास्टिक कैरीबैग पर पूरी तरह प्रतिबंध है. उन्होंने बताया कि हर साल पूरी दुनिया में 50-55 हजार करोड़ प्लास्टिक की बिक्री होती है. हर साल 80-85 लाख टन प्लास्टिक उत्पाद नदी, नालों से लेकर समुद्र में जमा हो रहे हैं. वर्ष 1950 से 2015 के बीच दुनिया में करीब 640 हजार करोड़ टन प्लास्टिक कचरा जमा हुआ है. इसमें से केवल नौ फीसदी ही रिसाइकल योग्य है.
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में हर रोज करीब 25 हजार 940 टन प्लास्टिक कचरे का उत्पादन होता है. इसलिये कूचबिहार जैसे उत्तर बंगाल के शहरों को प्लास्टिक और पॉलीथिन पर पूरी तरह रोक लगाने पर विचार करना होगा.

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