प्राइमरी स्कूल में पंखा नहीं, भीषण गर्मी से बेहाल हो रहे मासूम

डॉ बीसी राय प्राइमरी स्कूल की हालत बदतर आग उगलती है टीन की छत प्रधानाध्यापिका का आरोप, चार वर्षों से पंखों के लिए नहीं मिला फंड गर्मी के कारण स्कूल नहीं जा रहे हैं अधिकतर बच्चे सिलीगुड़ी : चिलचिलाती गर्मी से आम जनजीवन परेशान है. पारा भी सिर चढ़ कर बोल रहा. दोपहर के समय […]

By Prabhat Khabar Print Desk | June 25, 2019 2:36 AM

डॉ बीसी राय प्राइमरी स्कूल की हालत बदतर

आग उगलती है टीन की छत
प्रधानाध्यापिका का आरोप, चार वर्षों से पंखों के लिए नहीं मिला फंड
गर्मी के कारण स्कूल नहीं जा रहे हैं अधिकतर बच्चे
सिलीगुड़ी : चिलचिलाती गर्मी से आम जनजीवन परेशान है. पारा भी सिर चढ़ कर बोल रहा. दोपहर के समय लोग तेज धूप के कारण बाहर निकलने से परहेज करते हैं. लेकिन इस गर्मी में भी शहर के बंकिम नगर स्थित डॉ बीसी राय प्राइमरी स्कूल में विद्यार्थी सिर का पसीना पोंछते हुए अपनी पढ़ाई पूरी कर रहे हैं. हालत यह है कि भीषण गर्मी के कारण बहुत सारे बच्चे स्कूल भी नहीं जा रहे हैं.
राज्य सरकार की ओर से शिक्षा व्यवस्था पर काफी जोर दिया जा रहा है. बच्चों को स्कूलों के प्रति आकर्षित करने के लिए राज्य सरकार शिक्षा विभाग मिड डे मिल तथा अन्य कई नये-नये स्कीमों को ला रही है. सही देखरेख के अभाव में सिलीगुड़ी के अधिकतर प्राइमरी स्कूलों की हालत खस्ताहाल है. जिस वजह से लोगों का ध्यान सरकारी विद्यालयों से हटकर प्राइवेट स्कूलों की ओर बढ़ रहा है. ऐसे ही दौर से सिलीगुड़ी का डॉ बीसी राय प्राइमरी स्कूल गुजर रहा है.
उस इलाके में यह विद्यालय काफी पुराना है. इस विद्यालय से निकले कई होनहार छात्र विभिन्न महत्वपूर्ण पदों पर आसीन हैं. मगर आज भी स्कूल अपने पुराने रंग-रूप में है. विद्यालय में कक्षा 1 से लेकर 4 तक का कमरा है. इसके अलावा अलग से एक स्टाफ रूम भी है. एक कमरे को छोड़कर बाकी सभी पर टीन का शेड है. बदहाली का यह आलम है कि किसी भी कमरे में पंखे की व्यवस्था नहीं है.
गर्मी के दिनों में टीन शेड के तपने से बच्चों का कमरे में बैठना दुभर हो जाता है. वहीं दूसरी ओर बहुत सारे बच्चे स्कूल नहीं जाते. इसका सीधा असर उनके पठन-पाठन पर पड़ रहा है. कई अभिभावकों की शिकायत है कि स्कूल में पंखा नहीं है. उनके पास इतना सामर्थ्य भी नहीं है वे अपने बच्चों को किसी प्राइवेट स्कूल में पढ़ने के लिए भेज सके. भीषण गर्मी में बच्चे भी स्कूल जाना नहीं चाहते हैं. अभिभावकों का कहना है कि इस ओर राज्य शिक्षा विभाग को ध्यान देने की जरूरत है.

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