जीएसटीआर 9 की जटिलता से कारोबारी हलकान

रिटर्न भरने की प्रक्रिया में सुधार व सरलीकरण हेतु सरकार से गुहार एसएमए ने केंद्रीय वित्त मंत्री समेत राज्य मंत्रियों को भेजा ज्ञापन सिलीगुड़ी : सभी स्तर के कारोबारी, वित्त विशेषज्ञ (चार्टर्ड एकाउंटेंट, टैक्स संबंधी अधिवक्ता, एकाउंटेंट) जीएसटीआर नौ की जटिलता से हर कोई हलकान है. सभी ने केंद्र सरकार से जीएसटी की हरेक महीने […]

By Prabhat Khabar Print Desk | June 20, 2019 1:50 AM

रिटर्न भरने की प्रक्रिया में सुधार व सरलीकरण हेतु सरकार से गुहार

एसएमए ने केंद्रीय वित्त मंत्री समेत राज्य मंत्रियों को भेजा ज्ञापन
सिलीगुड़ी : सभी स्तर के कारोबारी, वित्त विशेषज्ञ (चार्टर्ड एकाउंटेंट, टैक्स संबंधी अधिवक्ता, एकाउंटेंट) जीएसटीआर नौ की जटिलता से हर कोई हलकान है. सभी ने केंद्र सरकार से जीएसटी की हरेक महीने रीटर्न भरने के साथ ही जीएसटीआर 9 की सालाना रीटर्न भरने की प्रक्रिया में सुधार व सरलीकरण करने हेतु गुहार लगायी है. कल यानी दिल्ली में जीएसटी काउंसिल की मीटिंग होनी तय है.
इससे पहले देश भर के कारोबारी संगठनों ने इस गंभीर मुद्दे पर सरकार का ध्यान आकर्षित करने के लिए बुधवार को ज्ञापन भेजा है. इसी के तहत उत्तर बंगाल में गल्ला कारोबारियों की सबसे बड़ी संगठन सिलीगुड़ी मर्चेंट्स एसोसिएशन (एसएमए) ने भी केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, राज्य वित्त व कॉरपोरेट मामलों के मंत्री अनुराग ठाकुर व पश्चिम बंगाल सरकार के वित्त मंत्री अमित मित्रा को आज सात सूत्री मांगों का ज्ञापन भेजा है. एसएमए के अध्यक्ष गोपाल खोरिया की मानें तो जीएसटी और जीएसटीआर 9 रीटर्न भरने का प्रक्रिया बहुत ही ज्यादा जटिल है. जीएसटीआर 9 के तहत कारोबारियों को सालाना रीटर्न भरना पड़ता है.
इसके लिए जीएसटीआर 3बी व जीएसटीआर 1 का भी रीटर्न भरना पड़ता है. अगर रीटर्न भरने के दौरान जरा भी भूलचूक हो जाती है तो उसमें सुधार की कोई गुंजाईश नहीं है. गलत रीटर्न भरे जाने के वजह से कारोबारियों को कई तरह दिक्कतों से जूझना पड़ता है. श्री खोरिया का कहना है कि जीएसटी भरने की प्रक्रिया से केवल कारोबारी ही परेशान नहीं हो रहे बल्कि वित्त विशेषज्ञ भी इसकी जटिलता से काफी परेशान हैं. उनका कहना है कि मोदी सरकार ने वित्तय वर्ष सत्र् 2017-18 में देश भर में जीएसटी लागू किया था.
जीएसटी लागू करने को दो साल बीत गये, लेकिन रीटर्न भरने की प्रक्रिया इतनी जटिल है कि वित्त विशेषज्ञ भी इसे अभी तक सही तरिके से समझ नहीं पा रहे. इस वजह से ऑडिट में भी समस्याएं आ रही है.

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