डायना नदी में समाने के कगार पर खेरकाटा गांव

समस्या समाधान के लिए स्थानीय बांध के निर्माण की मांग नागराकाटा : प्रखंड क्षेत्र का खेरकाटा गांव डायना नदी के किनारे बसा हुआ एक दुर्गम गांव है. हर साल कटाव के चलते नदी से गांव की दूरी अब बहुत कम रही गयी है. इस बार गांव की एकमात्र सड़क को निगल जाने की तैयारी कर […]

By Prabhat Khabar Print Desk | May 19, 2019 2:28 AM

समस्या समाधान के लिए स्थानीय बांध के निर्माण की मांग

नागराकाटा : प्रखंड क्षेत्र का खेरकाटा गांव डायना नदी के किनारे बसा हुआ एक दुर्गम गांव है. हर साल कटाव के चलते नदी से गांव की दूरी अब बहुत कम रही गयी है. इस बार गांव की एकमात्र सड़क को निगल जाने की तैयारी कर रही है डायना नदी. शुरु में अस्थायी बांध से नदी की दिशा मोड़ने का प्रयास हुआ था.
लेकिन वह प्रयास सफल होता हुआ नहीं लग रहा है. इसलिए ग्रामीण स्थायी बांध की मांग कर रहे हैं. हर साल की तरह इस बार भी बरसात में बाढ़ के कहर की आशंका में बिता रहे हैं गांव के 350 परिवार. वहीं, सिंचाई विभाग के सूत्र का कहना है कि समस्या के हल के लिए परियोजना तैयार की गयी है. जल्द इस पर काम शुरू होगा.
उल्लेखनीय है कि एक तरफ डायना जंगल और दूसरी ओर डायना नदी के बीच में आंगराभासा एक नंबर ग्राम पंचायत अंतर्गत खेरकाटा गांव एक टापू की तरह है. नदी क्रमश: उपर से नीचे की ओर चौड़ा होते हुए आयी है. उत्तर से दक्षिण दिशा में बहने वाली यह नदी सूखा मौसम में हालांकि पतली धारवाली होती है लेकिन बरसात में वह भयावह रुप ले लेती है. यहां तक कि गांव की एकमात्र सड़क बाढ़ में पूरी तरह डूब जाती है. नतीजतन ग्रामीणों को वन विभाग के कुनकी हाथियों से यात्रा करनी पड़ती है. नदी से ऊंची सड़क करीब तीन किमी की यह कच्ची सड़क नदी के समानांतर बांध का भी काम करती है. हालांकि बाढ़ इस अंतर को मिटा देती है.
पिछले पांच साल में यह नदी 200 मीटर की दूरी से करीब आते हुए गांव की सीमा तक आ पहुंची है. इस बीच नदी में गांव की काफी कृषि जमीन समा गयी है. पहले की जो सड़क थी उसका कोई निशान अब बाकी नहीं रहा. स्थानीय लोगों के अनुसार गांव से कुछ दूरी पर टिकमपुर में डायना जंगल संलग्न जगह में बोल्डर से बने बांध की डांवाडोल स्थिति है. पिछली बार बांध का एक हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया था.
लोगों को आशंका है कि उसकी मरम्मत नहीं करायी गयी तो इस बार बाढ़ और भी भयावह रुप लेगी. खेरकाटा के निवासी दसई उरांव ने बताया कि बाढ़ और खेरकाटा एक ही सिक्के के दो पहलू हैं. टिकमपुर के बांध की मरम्मत बेहद जरूरी है. इसके पहले भी बाढ़ में सेतु और कल्वर्ट बह गये थे. सिंचाई विभाग के बानरहाट महकमा जोन के प्रभारी अधिकारी सुव्रत सुर ने बताया कि खेरकाटा के संकट की जानकारी है. इस संकट को दूर करने के लिए परियोजना तैयार की गयी है.

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