अपने बच्चे को पाने में सफल रहे दंपती

6 महीने बाद बच्चे के मिलने से सभी गदगद जिला अस्पताल से मिला छुटकारा सिलीगुड़ी : करीब 6 महीने की लगातार जद्दोजहद तथा कानूनी पेचों को पार करने के बाद आखिरकार एक मां-बाप को अपने जिगर के टुकड़े को फिर से कलेजे से लगाने का मौका मिल गया. इसके साथ ही पूरे परिवार ने भी […]

By Prabhat Khabar Print Desk | February 23, 2019 1:27 AM

6 महीने बाद बच्चे के मिलने से सभी गदगद

जिला अस्पताल से मिला छुटकारा
सिलीगुड़ी : करीब 6 महीने की लगातार जद्दोजहद तथा कानूनी पेचों को पार करने के बाद आखिरकार एक मां-बाप को अपने जिगर के टुकड़े को फिर से कलेजे से लगाने का मौका मिल गया. इसके साथ ही पूरे परिवार ने भी राहत की सांस ली है. जब बच्चा अपने मां-बाप से बिछड़ा था तो वह ती महीने का था. अब वह नौ महीने से अधिक का हो चुका है.
इसे एक बड़ी अनहोनी ही कह सकते हैं कि माता-पिता व परिवार के होते हुए भी वह बच्चा सिलीगुड़ी जिला अस्पताल में लावारिस की तरह पड़ा हुआ था. आज अस्पताल प्रबंधन ने बच्चे को उसके मां-बाप के हवाले कर दिया. बच्चा जन्म से पड़ोसी देश नेपाल का है. इसी से कानूनी पेचिदगियां ज्यादा फंस गयी थी. लेकिन अंत में कानून के पेंच पर ममता भारी पड़ा.
प्राप्त जानकारी के अनुसार पिछले साल 25 अगस्त को बंगाल-बिहार सीमांत गलगलिया रेलवे पुलिस ने तीन माह के एक बच्चे को सिलीगुड़ी जिला अस्पताल में भर्ती कराया था. रेलवे पुलिस को वह बच्चा पैसेंजर ट्रेन में अकेला बरामद हुआ था. सिलीगुड़ी जिला अस्पताल ने लावारिस बच्चे की जानकारी सीडब्ल्यूसी को दी. उसके बाद सीडब्ल्यूसी ने लिखित तौर पर सिलीगुड़ी जिला अस्पताल को बरामद बच्चे का अभिभावक नियुक्त कर दिया. माता-पिता के मिलने तक बच्चे की हिफाजत अस्पताल प्रबंधन को सौंप दिया. बच्चे का नाम लक्ष्मण यादव है. बच्चे की मां राबड़ी देवी व पिता सोमनाथ प्रसाद यादव हैं.
राबड़ी देवी मूल रूप से पड़ोसी राज्य बिहार के किशनगंज जिला अतंर्गत फकारधारा इलाके के वार्ड नंबर 9 की निवासी है. जबकि सोमनाथ प्रसाद पड़ोसी देश नेपाल के झापा जिला अंतर्गत भद्रपुर के वार्ड नंबर 5 का रहने वाला है. शादी के बाद राबड़ी देवी अपने पति के साथ नेपाल में ही रहती थी. इन दोनों की एक और बच्ची भी है. 25 अगस्त को राबड़ी देवी अपने मायके से नेपाल लौट रही थी.
वह किशनगंज से एक पैसेंजर ट्रेन पकड़कर खोड़ीबाड़ी के लिए चली. एक स्टेशन पर ट्रेन रूकी थी. वह बच्चे को सीट पर रखकर स्टेशन पर उतरी कि तभी ट्रेन चल पड़ी.उसके बाद गलगलिया रेलवे स्टेशन पुलिस ने ट्रेन से बच्चे को बरामद कर सिलीगुड़ी जिला अस्पताल में भर्ती कराया था. उसके बाद से लेकर आजतक सिलीगुड़ी जिला अस्पताल का पीडियाट्रिक वार्ड ही उस बच्चे का घर बन गया. लेकिन आज उसे अपना असली घर मिल गया.आवश्यक कानूनी प्रक्रिया पूरी होने के बाद राज्य प्रशासन के निर्देश पर बच्चे को उसके माता-पिता के हवाले कर दिया गया.

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