शहीद जवान के परिवार नौकरी के इंतजार में

24 अप्रैल 2017 को माओवादी हमले में हुआ था निधन कूचबिहार : 24 अप्रैल 2017 को छत्तीसगढ़ के कालापत्थर इलाके में माओवादी हमले में 26 सीआरपीएफ जवान शहीद हुए थे. इनमें कूचबिहार जिले के दो जवान शामिल थे. सीआरपीएफ के 74 नंबर बटालियन के सब इंस्पेक्टर कूचबिहार के विवेकानंद स्ट्रीट संलग्न इलाका निवासी कृष्ण कुमार […]

By Prabhat Khabar Print Desk | February 20, 2019 1:49 AM

24 अप्रैल 2017 को माओवादी हमले में हुआ था निधन

कूचबिहार : 24 अप्रैल 2017 को छत्तीसगढ़ के कालापत्थर इलाके में माओवादी हमले में 26 सीआरपीएफ जवान शहीद हुए थे. इनमें कूचबिहार जिले के दो जवान शामिल थे. सीआरपीएफ के 74 नंबर बटालियन के सब इंस्पेक्टर कूचबिहार के विवेकानंद स्ट्रीट संलग्न इलाका निवासी कृष्ण कुमार दास.
दूसरा कूचबिहार 1 नंबर ब्लॉक के हाड़ीभांगा ग्राम पंचायत के अठारोनला गांव निवासी विनय चंद्र बर्मन थे. 14 फरवरी को पुलवामा में 42 सीआरपीएफ जवानों के मारे जाने की घटना ने दोनों ही परिवारों के घाव को फिर से ताजा कर दिया. उन्होंने दु:ख जताते हुए बताया कि आज तक वादा के अनुसार परिवार के किसी सदस्य को नौकरी तक नहीं मिली है.उस समय जिले में खुद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी उपस्थित थे.
उन्होंने सूचना पाते ही घटना की अगली सुबह 25 अप्रैल को कृष्ण कुमार दास के घर गयी. उन्होंने शोक में डूबे परिवार से वादा किया था कि परिवार के एक सदस्य को राज्य सरकार की नौकरी दिलवायेंगी. लेकिन आज तक उन्हें नौकरी नहीं मिली. शहीद की मां झर्ना दास ने बताया कि मुख्यमंत्री की घोषणा के बाद नौकरी के लिए नवान्न में शहीद की पत्नी दीपान्विता दास ने आवेदन दिया था.
लेकिन इसपर कोई पहल नहीं की गयी. बल्की बड़े बेटे को सिविक वॉलेंटियर की नौकरी का प्रस्ताव दिया गया था. उनका सवाल है क्या सिविक वॉलेंटियर की नौकरी राज्य सरकारी नौकरी है? वहीं शहीद विनय चंद्र बर्मन की पत्नी चुमकी बर्मन आज भी मुख्यमंत्री के वादे के मुताबिक नौकरी का इंतजार कर रही है.

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