पहाड़ समस्या का एकमात्र हल गोरखालैंड : छेत्री

18 को असम में आयोजित किया गया है सेमिनार सिक्किम-दार्जिलिंग एकीकरण व छठी अनुसूची से बात नहीं बनेगी दार्जिलिंग. बोडोलैंड संघर्ष समिति द्वारा आयोजित नेशनल फेडरेशन फॉर स्मॉलर स्टेट कार्यक्रम में भाग लेने के लिए क्रामाकपा का प्रतिनिधिमंडल 18 जनवरी को असम जाएगा. 20 जनवरी को असम के सोनितपुर में यह आयोजन है. इस सेमिनार […]

By Prabhat Khabar Print Desk | January 15, 2018 9:19 AM
18 को असम में आयोजित किया गया है सेमिनार
सिक्किम-दार्जिलिंग एकीकरण व छठी अनुसूची से बात नहीं बनेगी
दार्जिलिंग. बोडोलैंड संघर्ष समिति द्वारा आयोजित नेशनल फेडरेशन फॉर स्मॉलर स्टेट कार्यक्रम में भाग लेने के लिए क्रामाकपा का प्रतिनिधिमंडल 18 जनवरी को असम जाएगा. 20 जनवरी को असम के सोनितपुर में यह आयोजन है. इस सेमिनार में बोडोलैंड, गोरखालैंड, विदर्भ, हरित प्रदेश, बुदेलखंड सहित अन्य राज्यों के गठन की मांग को लेकर संघर्षरत राजनैतिक दल भाग लेंगे. इसमें क्रामाकपा को भी आमंत्रित किया गया है. 18 जनवरी को क्रामाकपा प्रमुख आरबी राई, प्रवक्ता गोविंद छेत्री, सुनील राई और किशोर प्रधान असम जायेंगे.
दार्जिलिंग प्रेस गिल्ड में पत्रकारों को सम्बोधित करते हुये क्रामाकपा प्रवक्ता गोविन्द छेत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने गोरखालैंड को लेकर अपना रुख स्पष्ट नहीं किया है. कई राजनीतिक दल सरकार के समक्ष गोरखालैंड के विकल्प के रूप में सिक्किम-दार्जिलिंग एकीकरण, छठी अनुसूची आदि प्रस्ताव पेश करते आ रहे हैं, जो ठीक नहीं है. भारतीय गोरखाओं की समस्या का समाधान छठी अनुसूची नहीं है.
देश के उत्तर-पूर्वी राज्यों में भी छठी अनुसूची थी, लेकिन उन लोगों की समस्या का समाधान नहीं होने के कारण आज फिर उन लोगों ने अलग राज्य की मांग करना शुरू कर दिया है. दूसरी बात राज्य का प्रस्ताव संसद में पारित कराने में जितना आसान है, छठी अनुसूची का प्रस्ताव पारित कराने में उतना ही मुश्किल है. इस तरह दूसरे राजनैतिक दल के नेताओं ने ऐतिहासिक दस्तावेजों को दिखाकर सिक्किम-दार्जिलिंग एकीकरण की बात कही जा रही है, यदि इतिहास को सामने रखकर कोई इस तरह के दावे करने लगे तो आज सौ साल पहले के जमाने में हमें चला जाना होगा. यह संभव नहीं है.
इतिहास के आधार पर अगर हम मान भी लें कि दार्जिलिंग का भूभाग सिक्किम का रहा है, तब तो यह भी मानना पड़ेगा कि कालिम्पोंग ब्रिटिश शासन से पहले भूटान के अधीन था.
ऐसे में हमारे देश के साथ पड़ोसियों के संबंध भी बिगड़ जायेंगे. यह बात क्रामाकपा प्रवक्ता गोविन्द छेत्री ने कही. उन्होंने कहा कि आज से कुछ महीने पहले विनय तमांग ने कर्सियांग में एक जनसभा को संबोधित करने के दौरान गोरखालैंड के लिए आमरण अनशन पर बैठने की बात कही थी, लेकिन महीनों बीत जाने के बावजूद विनय तमांग अपने वादे को पूरा नहीं कर सके.

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