सीइओ से मिला तृणमूल का प्रतिनिधिमंडल ड्राफ्ट वोटर लिस्ट में गड़बड़ियों का आरोप
जिंदा लोगों को मृत दिखाने का दावा, सुनवाई प्रक्रिया और दस्तावेजों को लेकर उठे सवाल
जिंदा लोगों को मृत दिखाने का दावा, सुनवाई प्रक्रिया और दस्तावेजों को लेकर उठे सवाल कोलकाता. तृणमूल कांग्रेस के एक प्रतिनिधिमंडल ने मंगलवार को राज्य के मुख्य चुनाव अधिकारी (सीइओ) मनोज कुमार अग्रवाल से मुलाकात कर ड्राफ्ट वोटर लिस्ट और एसआइआर प्रक्रिया को लेकर कई सवाल उठाये. प्रतिनिधिमंडल में मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य, पुलक रॉय, शशि पांजा और सांसद पार्थ भौमिक शामिल थे. तृणमूल नेताओं ने आरोप लगाया कि नौ ऐसे लोगों को, जो जीवित हैं, मृत या लापता दिखाकर ड्राफ्ट वोटर लिस्ट से बाहर कर दिया गया है. प्रतिनिधिमंडल ने सुनवाई प्रक्रिया के दौरान आम लोगों को हो रही परेशानियों को भी सीइओ के सामने रखा. चुनाव आयोग ने प्रतिनिधिमंडल को आश्वस्त किया कि प्रत्येक शिकायत की जांच की जायेगी. आयोग ने कहा कि यदि किसी बूथ लेवल ऑफिसर (बीएलओ) द्वारा जानबूझकर गलती की गयी पायी जाती है, तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जायेगी. सीइओ कार्यालय से बाहर निकलने के बाद मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य ने कहा कि कई लोग डरे हुए और असमंजस में हैं कि उनका नाम वोटर लिस्ट में है या नहीं. उन्होंने आरोप लगाया कि मामूली त्रुटियों, जैसे पिता के नाम की स्पेलिंग में गलती, पर भी लोगों को सुनवाई के लिए बुलाया जा रहा है. उनका कहना था कि ऐसे सभी मामलों में सुनवाई का नोटिस देना आवश्यक नहीं है. चंद्रिमा भट्टाचार्य ने यह भी आरोप लगाया कि एसआइआर सुनवाई के लिए 11 दस्तावेजों की सूची दी गयी है, जबकि सुप्रीम कोर्ट ने आधार कार्ड को 12वें दस्तावेज के रूप में स्वीकार करने का निर्देश दिया है. इसके बावजूद चुनाव आयोग इसे मान्यता नहीं दे रहा है. उन्होंने कहा कि कई मामलों में सुनवाई केंद्र 30 से 40 किलोमीटर दूर बनाये गये हैं. सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा कि सुनवाई ग्राम पंचायत या नगरपालिका कार्यालयों में होनी चाहिए, ताकि आम लोगों को दूर न जाना पड़े. मंत्री ने बीएलओ पर दबाव बनाये जाने का मुद्दा भी उठाया. उन्होंने कहा कि बीएलओ को अचानक फिर से घर-घर सर्वे करने के निर्देश दिये जा रहे हैं. साथ ही उन्होंने यह सवाल भी किया कि जो लोग इस समय राज्य से बाहर हैं, वे सुनवाई में कैसे उपस्थित हो पायेंगे. वहीं, सांसद पार्थ भौमिक ने कहा कि प्रतिनिधिमंडल ने सीइओ से सवाल किया है कि गरीब लोगों को सुनवाई के लिए दूर जाने पर अतिरिक्त खर्च क्यों उठाना पड़े. उन्होंने मांग की कि यह सुनिश्चित किया जाये कि गांव के लोगों को लंबी दूरी तय न करनी पड़े. चुनाव आयोग के सूत्रों ने बताया कि तृणमूल कांग्रेस ने रूटीन सर्वे पर भी सवाल उठाया है. पार्टी का आरोप है कि यह सर्वे केवल 81 विधानसभा सीटों पर ही क्यों कराया गया. इस पर आयोग ने स्पष्ट किया कि नियमों के अनुसार यह सर्वे हर विधानसभा चुनाव से पहले किया जाता है. आयोग ने यह भी कहा कि यदि राज्य सरकार इसका खर्च वहन करती है, तो सभी विधानसभा क्षेत्रों में सर्वे कराया जा सकता है.
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