कोन्नगर में ‘सेटिंग’ पोस्टर से मचा सियासी घमासान
पोस्टरों की जिम्मेदारी किसी ने नहीं ली है, फिर भी इसे लेकर राजनीतिक विवाद शुरू हो गया है.
हुगली. उत्तरपाड़ा विधानसभा क्षेत्र के कोन्नगर में ‘किस बात की सेटिंग, क्यों सेटिंग’ लिखे पोस्टर लगाने से सियासी हलचल तेज हो गयी है. पोस्टरों की जिम्मेदारी किसी ने नहीं ली है, फिर भी इसे लेकर राजनीतिक विवाद शुरू हो गया है. पीएम के साथ तस्वीर और ‘सेटिंग’ चर्चा: सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ श्रीरामपुर के सांसद कल्याण बंद्योपाध्याय की एक तस्वीर सामने आयी, जिसमें वह हाथ जोड़कर अभिवादन करते दिख रहे हैं. इसके बाद ‘सेटिंग’ सिद्धांत पर चर्चाएं शुरू हो गयीं. कुछ दिन पहले ही कल्याण बंद्योपाध्याय ने लोकसभा के चीफ व्हिप पद से इस्तीफा दिया था. सांसद महुआ मोइत्रा के साथ विवाद को लेकर दिये बयानों पर उन्होंने बाद में खेद जताते हुए कहा था कि पार्टी नेता के खिलाफ उल्टा-सीधा बोलना उचित नहीं था. राखी के दिन मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने उन्हें तीन बार फोन कर शुभकामनाएं भी दी थीं.
सोमवार को जब तृणमूल कांग्रेस के सांसद दिल्ली में एसआइआर के खिलाफ धरने पर थे, तब दिल्ली में मौजूद होने के बावजूद कल्याण बंद्योपाध्याय वहां नहीं गये. इसकी बजाय वह दिल्ली में सांसदों के नये आवासीय भवन के उद्घाटन में पहुंचे, जहां प्रधानमंत्री ने उनसे हंसते हुए पूछा — “सब कुछ कल्याण है तो?” जिस पर सांसद ने जवाब दिया — “सब कल्याण ही है.” इसी तस्वीर के बाद ‘सेटिंग’ पोस्टर लगाये जाने को लेकर विवाद और गहरा गया.
विपक्ष के आरोप, सांसद की सफाई: माकपा हुगली जिला कमेटी के सदस्य आभास गोस्वामी ने कहा कि तृणमूल कांग्रेस और भाजपा की ‘सेटिंग’ के कारण भ्रष्टाचार के मामलों में कोई कार्रवाई नहीं हो पाती और अपराधियों को संरक्षण मिलता है. भाजपा के राज्य कमेटी के सदस्य प्रणय राय ने तृणमूल और माकपा पर एक-दूसरे के साथ मिलीभगत का आरोप लगाते हुए कहा कि 9 अगस्त को अभया कांड पर नबान्न अभियान में माकपा ने शामिल होकर तृणमूल कांग्रेस को फायदा पहुंचाने का काम किया. इस विवाद पर अपनी सफाई देते हुए कल्याण बंद्योपाध्याय ने फेसबुक पोस्ट में लिखा कि वे 2014 से संसद भवन समिति के सदस्य हैं और सांसदों के नये आवासीय परिसर के निर्माण में उनकी बड़ी भूमिका रही है. सोमवार को प्रधानमंत्री द्वारा उद्घाटन के बाद वह सुप्रीम कोर्ट में तृणमूल कांग्रेस की ओर से एसआइआर मामले में पक्ष रखने और ओबीसी से जुड़े एक अन्य महत्वपूर्ण मामले में शामिल होने गये थे. इसी कारण वह धरने में मौजूद नहीं थे.
उन्होंने कहा कि उनकी ईमानदारी और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के प्रति निष्ठा पर कोई सवाल नहीं उठ सकता और यह हमेशा बरकरार रहेगी.
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