चंदननगर डुप्ले कॉलेज में शोध का अवसर

तीन साल पहले सेंटर फॉर हेरिटेज स्टडीज की स्थापना हुई थी. आगामी दो मई को चंदननगर की स्वतंत्रता के 75 वर्ष पूरे होने जा रहे हैं.

By SUBODH KUMAR SINGH | March 12, 2025 1:04 AM

धरोहर को संरक्षित रखने का प्रयास

प्रतिनिधि, हुगली.

तीन साल पहले सेंटर फॉर हेरिटेज स्टडीज की स्थापना हुई थी. आगामी दो मई को चंदननगर की स्वतंत्रता के 75 वर्ष पूरे होने जा रहे हैं. इसी उपलक्ष्य में चंदननगर कॉलेज में हेरिटेज रिसर्च सेंटर की घोषणा एक विशेष कार्यक्रम में की गयी. 2025 में चंदननगर के फ्रांसीसी शासन से मुक्त होने के 75 वर्ष पूरे हो रहे हैं. इस उपलक्ष्य में मंगलवार को चंदननगर कॉलेज के ऐतिहासिक भवन में एक विशेष संगोष्ठी आयोजित की गई, जिसमें चंदननगर कॉलेज और चंदननगर कॉलेज एलुमनाई एसोसिएशन के पदाधिकारी शामिल हुए. इस अवसर पर चंदननगर के मेयर राम चक्रवर्ती और डिप्टी मेयर मुन्ना अग्रवाल को दो पुस्तकें भेंट की गयीं. कार्यक्रम में कॉलेज के प्राचार्य देवाशीष सरकार, एलुमनाई एसोसिएशन के सचिव दीप्तनारायण मुखर्जी समेत अन्य गणमान्य लोग उपस्थित थे. चंदननगर कॉलेज के प्राचार्य देवाशीष सरकार ने कहा कि चंदननगर का इतिहास बेहद समृद्ध है. सुल्तानों के शासन से लेकर फ्रांसीसियों के हाथों में जाने तक, ब्रिटिश-फ्रांसीसी संघर्ष, बाद में फ्रांसीसियों का यहां से प्रस्थान और भारत में विलय तक की पूरी गाथा हेरिटेज से भरपूर है. लेकिन इस ऐतिहासिक धरोहर का संरक्षण योजनाबद्ध तरीके से नहीं हो सका. चंदननगर हेरिटेज रिसर्च सेंटर का मुख्य उद्देश्य बीते गौरव पर सिर्फ अफसोस करना नहीं, बल्कि जो बचा है उसे संरक्षित करना और सहेजना है. तीन साल पहले इसी उद्देश्य से काम शुरू हुआ था, जिसके अंतर्गत अब तक तीन पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं.

पिछले वर्ष चंदननगर कॉलेज की ऐतिहासिक यात्रा पर एक पुस्तक कॉलेज डूप्लिक्स टू चंदननगर कॉलेज: द जर्नी फ्रॉम रिवोल्यूशन टू इमानिसिपेशन प्रकाशित हुई थी. इस शोध की निरंतरता में इस वर्ष भी दो अलग-अलग पुस्तकें प्रकाशित की गयी हैं.

पहली पुस्तक चंदननगर – ए सिटी ऑफ हेरिटेज, जिसे देवाशीष सरकार, अविन चक्रवर्ती, सैकत नियोगी और सौम्यब्रत दासगुप्ता ने लिखा है, चंदननगर के बहुआयामी इतिहास और समृद्ध विरासत का संपूर्ण विश्लेषण प्रस्तुत करती है. दूसरी पुस्तक, मोन हिस्टॉयर, चंदननगर कॉलेज चंदननगर कॉलेज के ऐतिहासिक विकास को दर्शाती है. प्राचार्य देवाशीष सरकार ने कहा, ‘हम इस प्रयास को एक आंदोलन के रूप में जनता तक पहुंचाना चाहते हैं. यह सिर्फ कॉलेज के कुछ लोगों तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि नागरिक समाज को भी जोड़कर, उनकी सोच और चेतना को जाग्रत कर, इस धरोहर को संरक्षित करने की दिशा में आगे बढ़ेंगे.

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