सुप्रीम कोर्ट का पश्चिम बंगाल शिक्षक नियुक्ति मामले में हस्तक्षेप से इंकार
अभ्यर्थियों के एक समूह ने सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर की थी, जिसमें एसएससी द्वारा नयी नियुक्ति प्रक्रिया में अतिरिक्त 10 अंक देने के फैसले पर भी सवाल उठाया गया था.
कोलकाता. पश्चिम बंगाल शिक्षक बहाली मामले में सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश सूर्यकांत और जस्टिस जयमाल्य बागची की पीठ ने अप्रैल में दिये गये अपने फैसले में हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग (एसएससी) की नियुक्ति प्रक्रिया रद्द कर दी थी. अभ्यर्थियों के एक समूह ने सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर की थी, जिसमें एसएससी द्वारा नयी नियुक्ति प्रक्रिया में अतिरिक्त 10 अंक देने के फैसले पर भी सवाल उठाया गया था. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका को खारिज कर दिया. सीजेआइ सूर्यकांत ने कहा कि जब कोई चयन रद्द होता है, तो अच्छे उम्मीदवार भी प्रभावित होते हैं. लेकिन अच्छे उम्मीदवारों का दोबारा चयन संभव होगा. अप्रैल में अदालत ने 25000 से अधिक शिक्षकों और गैर-शिक्षण कर्मचारियों की भर्ती रद्द करने के कलकत्ता हाइकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा था. पश्चिम बंगाल सरकार ने कलकत्ता हाइकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. इसमें शिक्षकों और स्कूल कर्मचारियों के अतिरिक्त पद बनाने के 2022 के राज्य सरकार के फैसले पर सीबीआइ जांच का आदेश दिया गया था. सुप्रीम कोर्ट ने हालांकि इस हिस्से को खारिज कर दिया, लेकिन 25753 शिक्षकों की नियुक्ति से संबंधित अनियमितताओं की सीबीआइ जांच जारी रहेगी. सुप्रीम कोर्ट ने तीन अप्रैल को सरकारी और सहायता प्राप्त स्कूलों में 25753 शिक्षकों और कर्मचारियों की नियुक्ति को अमान्य करार दिया था. अदालत ने पूरी चयन प्रक्रिया को त्रुटिपूर्ण और दागदार बताया. यह चयन 2016 में राज्य स्कूल सेवा आयोग के नियुक्ति अभियान के माध्यम से किया गया था. कोर्ट ने राज्य सरकार को नयी चयन प्रक्रिया शुरू करने और इसे तीन महीने के भीतर पूरा करने का आदेश दिया था. इस फैसले के लिए 123 याचिकाओं पर सुनवाई की गयी थी.
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