सारधा मामला : डीजीपी राजीव कुमार की अग्रिम जमानत रद्द करने की याचिका खारिज
सुप्रीम कोर्ट ने सारधा चिटफंड घोटाला में वरिष्ठ आइपीएस अधिकारी व राज्य के डीजीपी राजीव कुमार को बड़ी राहत प्रदान की है.
सीबीआइ ने सुप्रीम कोर्ट में दायर की थी याचिका
संवाददाता, कोलकातासुप्रीम कोर्ट ने सारधा चिटफंड घोटाला में वरिष्ठ आइपीएस अधिकारी व राज्य के डीजीपी राजीव कुमार को बड़ी राहत प्रदान की है. शीर्ष अदालत ने सीबीआइ की उस याचिका को खारिज कर दी, जिसमें केंद्रीय जांच एजेंसी ने राजीव कुमार की अग्रिम जमानत को रद्द करने की मांग की थी. सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई और जस्टिस के विनोद चंद्रन की खंडपीठ ने सीबीआइ की याचिका खारिज कर दी.गौरतलब है कि राज्य सरकार ने सारधा चिटफंड कंपनी की आर्थिक धोखाधड़ी की जांच के लिए विशेष टीम का गठन किया था और बिधाननगर के पूर्व पुलिस आयुक्त राजीव कुमार उस टीम के सदस्य थे. 2014 में सीबीआइ ने मामले की जांच शुरू की. इस बीच, जांच एजेंसी ने आरोप लगाया कि आइपीएस अधिकारी राजीव कुमार जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं.
इसके अलावा, सीबीआइ ने उनके खिलाफ कई अन्य आरोप भी लगाये थे. हालांकि राजीव कुमार ने इन सभी आरोपों से इनकार किया. उसके बाद, सीबीआइ ने उन्हें हिरासत में लेने के लिए कदम उठाने शुरू कर दिये. उस समय, कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति की खंडपीठ ने राजीव कुमार को अग्रिम जमानत दे दी थी. सीबीआइ ने उस फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. छह साल बाद, 13 अक्तूबर को सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने सुनवाई की. ्फिर शुक्रवार को सुनवाई के लिए दिन तय किया था. पिछली सुनवाई में, मुख्य न्यायाधीश ने सीबीआइ की भूमिका पर आश्चर्य व्यक्त किया था. उन्होंने यह भी सवाल उठाया था कि सीबीआइ ने छह साल में राजीव कुमार से पूछताछ क्यों नहीं की?हालांकि, राजीव कुमार के वकील विश्वजीत देब ने दावा किया कि आइपीएस अधिकारी की प्रतिष्ठा को जान-बूझकर बदनाम किया जा रहा है. राज्य के वकील कल्याण बनर्जी ने मामले को लेकर अदालत के बाहर कहा : यह केवल एक राजनीतिक आरोप है. मामले को राजनीतिक मोड़ देने की कोशिश की जा रही है.
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