चार्जगठन में पार्थ ने खोली जुबान, तो जज बोले, जितना पूछा जाये उतना बोलें

शिक्षक भर्ती भ्रष्टाचार मामले की सुनवाई में राज्य के पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी के साथ जीवन कृष्ण साहा और अन्य आरोपी की वर्चुअल माध्यम से अदालत में पेशी हुई. सोमवार को सुनवाई के दौरान राज्य के पूर्व शिक्षा मंत्री अस्पताल के बिस्तर पर काला चश्मा पहने हुए दिखाई दिये. उन्होंने फिर कहा कि वह ‘निर्दोष’ हैं!

By BIJAY KUMAR | September 15, 2025 11:20 PM

कोलकाता

. शिक्षक भर्ती भ्रष्टाचार मामले की सुनवाई में राज्य के पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी के साथ जीवन कृष्ण साहा और अन्य आरोपी की वर्चुअल माध्यम से अदालत में पेशी हुई. सोमवार को सुनवाई के दौरान राज्य के पूर्व शिक्षा मंत्री अस्पताल के बिस्तर पर काला चश्मा पहने हुए दिखाई दिये. उन्होंने फिर कहा कि वह ‘निर्दोष’ हैं! वह और भी बहुत कुछ कहने वाले थे, लेकिन न्यायाधीश के मना करने के कारण उन्हें रुकना पड़ा. स्कूल सेवा आयोग (एसएससी) की कक्षा 9 और 10 में भर्ती में भ्रष्टाचार से जुड़े मामले में पार्थ चटर्जी और अन्य की सोमवार को अलीपुर स्थित सीबीआइ की विशेष अदालत में वर्चुअल माध्यम से पेशी हुई. सुनवाई के दौरान पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी के वकील विप्लव गोस्वामी ने उनकी ओर से दलीलें रखीं.पार्थ के वकील ने अपने मुवक्किल को बताया निर्दोष : पार्थ के वकील का दावा है कि इस मामले में कुल चार आरोपपत्र दाखिल किये गये हैं. शुरुआती आरोप पत्र में उनके मुवक्किल का नाम नहीं था, हालांकि, अंत में यह दावा किया गया कि पार्थ इस मामले के आरोपियों में से एक हैं. उन्होंने कहा कि सारे आरोप निराधार है. उनका दावा है कि उनके मुवक्किल को इसलिए फंसाया गया क्योंकि वह तत्कालीन मंत्री थे. किसी भी निष्पक्ष गवाह ने अपने बयान में यह दावा नहीं किया कि पार्थ अवैध नियुक्तियों में शामिल थे. उन्हें सिर्फ एक व्यक्ति के बयान के आधार पर आरोपी बताया जा रहा है. उनके वकील ने पार्थ को आरोपमुक्त करने की अर्जी दी, हालांकि, जज ने कहा कि उन्होंने जो केस डायरी देखी है, उसके अनुसार किसी भी विभाग के अधिकारी की नियुक्ति की फाइल मुख्यमंत्री के पास जाती है. लेकिन इस मामले में नियुक्ति फाइल सीधे एसएससी कार्यालय जाती थी.

बाकी आरोपियों के वकीलों ने भी रखा अपना पक्ष : दूसरी ओर, नीलाद्रि दास और सुबिरेश भट्टाचार्य के वकील संजय दासगुप्ता ने अदालत को बताया कि उन्हें गवाह के दस्तावेज नहीं मिले हैं. सीबीआइ ने कहा कि दस्तावेज अभी तैयार नहीं हैं, दस्तावेज मंगलवार को दिये जायेंगे. उससे पहले, उन्हें एसएससी के अन्य मामलों के जांचकर्ताओं से बात करनी होगी. तब संजय ने जानना चाहा कि क्या तीनों मामले एक जैसे हैं? अगर ऐसा है, तो लिखित में दिया जाये. एसएससी के नौवें और दसवें मामले में आरोप तय करने की प्रक्रिया चल रही है. न्यायाधीश ने सभी आरोपियों को आरोप पढ़कर सुनाये. न्यायाधीश ने कहा, आपने आपस में षडयंत्र करके अयोग्य उम्मीदवारों को नौकरी दी है. उम्मीदवारों द्वारा प्राप्त वास्तविक अंकों को भी तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया है. जीवनकृष्ण साहा और प्रसन्न रॉय सहित कई आरोपियों को संबोधित करते हुए न्यायाधीश ने कहा, आपने एजेंट की तरह काम किया है. आपने नौकरी चाहने वालों को प्रभावित किया है और उन्हें रिश्वत देने के लिए मजबूर किया है. इसके अलावा, न्यायाधीश ने यह भी कहा कि फर्जी नियुक्ति पत्रों और कभी-कभी इलेक्ट्रॉनिक दस्तावेजों में हेराफेरी करके सबूत नष्ट किये गये.

पार्थ के जुबान खोलते ही न्यायाधीश ने रोका : पार्थ को संबोधित करते हुए न्यायाधीश ने कहा कि उन्होंने अशोक साहा, शांतिप्रसाद सिंह और कल्याणमय गंगोपाध्याय को पश्चिम बंगाल माध्यमिक शिक्षा बोर्ड में नियुक्त करके अवैध रूप से काम करवाया था. इसलिए, उनके खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप दर्ज किए गए हैं. हालांकि पार्थ ने फिर दावा किया कि वह पूरी तरह से निर्दोष हैं. पार्थ ने कहा, मुझे आप पर भरोसा है, मैं पूरी तरह से निर्दोष हूं. मैं हर दिन यही बात कहूंगा. इसके बाद न्यायाधीश ने उन्हें आगे कुछ कहने से यह कहकर रोक दिया कि आपके पास एक वकील है, अगर आपको कुछ पता हो, तो उन्हें बताएं. पार्थ ने जवाब में कहा कि, क्या फिर मुझे कुछ कहने का कोई अधिकार नहीं है? जज ने जवाब दिया, समय आने पर बतायें. अभी, जितना पूछा गया है, उतना बतायें. गौरतलब है कि इडी ने 2022 में भर्ती भ्रष्टाचार में संलिप्तता के आरोप में पार्थ को गिरफ्तार किया था. बाद में, पूर्व शिक्षा मंत्री का नाम ग्रुप सी और ग्रुप डी समेत कई भर्ती भ्रष्टाचार के मामलों में आया. जिसके बाद सीबीआइ ने भी एसएससी भर्ती से जुड़े एक मामले में पार्थ को गिरफ्तार किया.

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