शमिक पर कुणाल घोष का पलटवार कहा : बंगाल में भाजपा सिर्फ बेबस
णमूल के प्रदेश महासचिव कुणाल घोष ने भट्टाचार्य की टिप्पणी को पूरी तरह ‘कथनी का खेल’ करार देते हुए कहा कि बंगाल में भाजपा यदि कुछ है, तो सिर्फ बेबस. उन्होंने कहा, 'तृणमूल का कोई विकल्प नहीं है. तृणमूल बंगाल की जनता के दिलों में है. भाजपा बंगाल में कहीं नहीं है.
कोलकाता.
पश्चिम बंगाल की राजनीति में फिर एक नया विवाद खड़ा हो गया है. भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष शमिक भट्टाचार्य ने पत्रकारों के समक्ष कथित तौर पर दावा किया कि तृणमूल कांग्रेस का जन्म भाजपा नेताओं अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी की मौजूदगी से ही संभव हुआ था. उन्होंने कहा कि ””कांग्रेस की ‘प्रसव पीड़ा’ के समय अगर लेबर रूम में भाजपा नेता व पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी या लाल कृष्ण आडवाणी मौजूद न रहते, तो ‘तृणमूल कांग्रेस’ नामक बच्चे का जन्म ही नहीं होता.”” इस बयान पर तृणमूल के प्रदेश महासचिव कुणाल घोष ने भट्टाचार्य की टिप्पणी को पूरी तरह ‘कथनी का खेल’ करार देते हुए कहा कि बंगाल में भाजपा यदि कुछ है, तो सिर्फ बेबस. उन्होंने कहा, ””तृणमूल का कोई विकल्प नहीं है. तृणमूल बंगाल की जनता के दिलों में है. भाजपा बंगाल में कहीं नहीं है. हर बार की तरह फिर हारेगी. बंगाल में भाजपा अगर कुछ है, तो सिर्फ बेबस. शमिक भट्टाचार्य की बातें भाजपा की हताशा और असफलता का प्रमाण हैं.””घोष ने भाजपा पर आरोप लगाया कि ””भाजपा की थोड़ी-बहुत ताकत माकपा से कटे वोटों की देन है. दिलीप घोष के भाजपा में प्रदेश अध्यक्ष रहते भगवा दल का जो वोट था, वह अब घट रहा है. तृणमूल की ताकत जस की तस है. भाजपा की दुर्गति छिपाने के लिए शमिक जी इस तरह की बातों का सहारा ले रहे हैं.””
मोदी की प्रशंसा और ममता के विकल्प पर टिप्पणीभाजपा नेता भट्टाचार्य ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ करते हुए कथित तौर पर यह भी कहा था कि इस समय देश में उनका कोई विकल्प नहीं है. “नरेंद्र मोदी जितने दिन राजनीति में रहेंगे, प्रधानमंत्री ही रहेंगे. वह अपराजेय हैं और वही तय करेंगे कि कब राजनीति से संन्यास लें.” इसी दौरान जब पत्रकारों ने उनसे पूछा कि क्या बंगाल की राजनीति में भी मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का कोई विकल्प नहीं है, तो भट्टाचार्य ने इसे वामपंथियों का ‘छिपा एजेंडा’ बताया. उनका आरोप था कि सुश्री बनर्जी की निरंतर सत्ता बनाये रखने में सबसे बड़ा योगदान वाम दलों की रणनीति का है. लेकिन भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष का सबसे चौंकाने वाला बयान तृणणूल की उत्पत्ति को लेकर था. उन्होंने कहा कि “हमने (भाजपा ने) सुश्री को दिल में नहीं रखा, बल्कि उनकी पार्टी को जन्म दिया. उस जन्म के समय हम मौजूद थे. यह कहना गलत नहीं होगा कि भाजपा नेताओं ने उस वक्त ऐतिहासिक भूमिका निभायी.” राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि भट्टाचार्य का यह बयान भाजपा कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाने और विपक्षी वोटों को गोलबंद करने की कोशिश है. वहीं, तृणमूल इसे भाजपा की ‘निराशा की राजनीति’ बताकर खारिज कर रही है. इस बहस से साफ है कि वर्ष 2026 में राज्य में होने वाले विधानसभाचुनाव से पहले बंगाल की सियासत और भी तीखी होने जा रही है.
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