हावड़ा छ साइबेरिया से आयी खुशियों की चहचहाहट, गुलजार हुआ सांतरागाछी झील
एनजीओ नेचर क्लब ने लिया साफ-सफाई का जिम्मा
एनजीओ नेचर क्लब ने लिया साफ-सफाई का जिम्मा हावड़ा. कड़ाके की ठंड के बीच सांतरागाछी झील एक बार फिर विदेशी पक्षियों की चहचहाहट से गुलजार होने लगी है. साइबेरिया और हिमालय के पार से आने वाले प्रवासी पक्षियों का आगमन शुरू हो गया है. आमतौर पर नवंबर से मार्च के बीच यह झील देश-विदेश से आने वाले पक्षियों का प्रमुख ठिकाना बन जाती है. जानकारों के अनुसार सांतरागाछी झील में लेसर व्हिसलिंग डक सबसे अधिक संख्या में देखे जाते हैं. इसके अलावा गैडवाल, गार्गने, नर्दन पेंटेल, कॉटन पिग्मी गूज, नर्दन शॉवेलर, कॉम्ब डक, स्विन्होज स्नाइप और फेरूजिनस पोचार्ड जैसी कई दुर्लभ प्रजातियों के पक्षी भी यहां आते हैं. झील की साफ-सफाई की जिम्मेदारी वन विभाग और हावड़ा नगर निगम की है, लेकिन दोनों विभागों की उदासीनता के कारण नेचर क्लब नामक एक एनजीओ ने पहल करते हुए सफाई का जिम्मा संभाला है. नेचर क्लब की प्रमुख लीना चटर्जी ने बताया कि झील की सफाई का काम अंतिम चरण में है, जबकि मेहमान पक्षियों का आगमन शुरू हो चुका है. उन्होंने उम्मीद जतायी कि इस बार पिछले वर्ष की तुलना में अधिक संख्या में पक्षी आयेंगे. पिछले साल झील में गंदगी के कारण पक्षियों की संख्या कम हो गयी थी. लीना चटर्जी ने बताया कि सांतरागाछी झील दक्षिण पूर्व रेलवे के अधीन है, इसलिए पूरी झील की सफाई संभव नहीं हो पा रही है. फिलहाल झील के लगभग 60 प्रतिशत हिस्से को साफ किया जा रहा है. पक्षियों के विश्राम के लिए झील के बीच जलकुंभी को सुरक्षित रखा गया है. उन्होंने कहा कि यदि वन विभाग और नगर निगम सफाई के काम में सक्रिय भूमिका निभाते, तो बेहतर होता. लेकिन ऐसा नहीं होने पर एनजीओ को ही आगे आकर जिम्मेदारी लेनी पड़ी.
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