गिरफ्तार कारोबारी अरुण सराफ को रिमांड पर लेना चाहता है इडी
शुक्रवार को उन्हें अलीपुर अदालत में पेश किया गया, जहां इडी ने 13 दिनों की रिमांड की मांग की है.
अवैध बालू खनन का मामला जांच में करोड़ों की गड़बड़ी और फर्जी ई-चालान की बात आयी सामने कोलकाता. प्रवर्तन निदेशालय (इडी) की टीम ने अवैध रेत खनन और करोड़ों रुपये की वित्तीय गड़बड़ी के आरोप में कोलकाता के कारोबारी अरुण सराफ को गुरुवार को गिरफ्तार किया था. शुक्रवार को उन्हें अलीपुर अदालत में पेश किया गया, जहां इडी ने 13 दिनों की रिमांड की मांग की है. इडी का आरोप है कि सराफ ने अवैध रूप से रेत खनन कर 103 करोड़ रुपये की बिक्री दिखायी, जबकि उनके खातों में 130 करोड़ रुपये से अधिक जमा पाये गये. एजेंसी का कहना है कि फर्जी ई-चालानों और क्यूआर कोड के जरिये रेत की अवैध बिक्री को वैध दिखाने का प्रयास किया गया. जांच में यह भी सामने आया है कि वर्ष 2020 तक अरुण और उनकी मां एक प्रख्यात माइनिंग कंपनी के निदेशक रहे और वर्तमान निदेशक भी उनके निर्देशों पर काम करते थे. इडी के अनुसार कंपनी के नाम पर बनाये कई चालान फर्जी क्यूआर कोड वाले पाये गये और रेत की बिक्री से जुड़ा कोई वैध लेखा-जोखा उपलब्ध नहीं है. राज्य पुलिस ने पहले इस संबंध में चार अलग-अलग प्राथमिकी दर्ज की थीं. इसी को आधार मानकर इडी ने आर्थिक अपराध निवारण कानून (पीएमएलए) के तहत मामला दर्ज किया. जांच में यह पाया गया है कि 2024–25 के बीच लगभग 60 करोड़ रुपये का कोई स्पष्ट हिसाब कंपनी पेश नहीं कर सकी. इडी ने बताया कि अरुण सराफ को तीन बार समन भेजा गया था. पहली बार वे हाजिर हुए. दूसरी बार अनुपस्थित रहे और तीसरी बार उपस्थित होने पर उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया. एजेंसी अब यह जांच कर रही है कि अवैध रूप से अर्जित धन कहां और किन व्यवसायों में निवेश किया गया. सराफ के वकील ने इडी की कार्रवाई पर सवाल उठाये हैं. उन्होंने कहा कि राज्य पुलिस की चार्जशीट में उनके मुवक्किल का नाम नहीं था और पहले से चले मामलों में अन्य आरोपित बरी हो चुके हैं. वकील ने यह भी दलील दी कि ई-चालान जालसाजी की जांच का अधिकार इडी के दायरे में नहीं आता. इडी ने कोर्ट में दायित्वपूर्वक कहा है कि मामले में कई स्तरों पर वित्तीय अनियमितताएं और सरकारी राजस्व की चोरी हुई है और वह यह पता लगाने में जुटी है कि अवैध आय का प्रवाह किस दिशा में गया.
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