पटाखों से कुत्ते-बिल्लियों की बढ़ती है परेशानी, दिल का दौरा और मौत का खतरा

दीपावली का त्योहार खुशियों का प्रतीक है, लेकिन इस दिन फोड़े जाने वाले पटाखों से कुत्ते और बिल्लियों के लिए खतरनाक स्थिति बन जाती है.

By AKHILESH KUMAR SINGH | October 20, 2025 2:01 AM

पशु प्रेमियों ने लोगों को किया जागरूक, सोशल मीडिया पर चलाया जा रहा अभियान

शिव कुमार राउत, कोलकातादीपावली का त्योहार खुशियों का प्रतीक है, लेकिन इस दिन फोड़े जाने वाले पटाखों से कुत्ते और बिल्लियों के लिए खतरनाक स्थिति बन जाती है. पशु प्रेमियों का कहना है कि तेज आवाज से आवारा और पालतू जानवरों में डर, तनाव और दिल का दौरा पड़ने का खतरा रहता है, जिससे उनकी मौत भी हो सकती है. विशेषज्ञों का कहना है कि कुत्ते और बिल्ली में सुनने की शक्ति इंसानों से ज्यादा होती है. बिल्लियां 55 हर्ट्ज से 77 किलो हर्ट्ज, तो कुत्ते 64 हर्ट्ज से 44 किलो हर्ट्ज तक आवाज सुनने की क्षमता रखते हैं. वहीं इंसानों में सुनने की क्षमता 20 हर्ट्ज से 20 किलो हर्ट्ज है. यानी पेट्स के कान हमसे ज्यादा सेंसेटिव होते हैं. जिन पटाखों की आवाज हमें नॉर्मल लगती है, वही आवाज कुत्ता-बिल्ली को दोगुनी तेजी से सुनायी देती है. इससे वे बेचैन होकर सहम व डर जाते हैं. घबराहट में उनकी लार ज्यादा टपकने लगती है. वे कांपने लगते हैं और इधर-उधर भागते हैं. इसलिए दिवाली के दिन अपने पालतू जानवरों को अकेला न छोड़ें. घर में हल्का म्यूजिक बजायें, जिससे उनका ध्यान पटाखों से भटके. बता दें की दीपावली के अवसर पर कोलकाता समेत देशभर में 125 डेसिबल तक के आवाज वाले पटाखें फोड़े जा सकते हैं. पर इस तरह के पटाखें ना केवल कुत्ते- बिल्लियों, बल्कि पर्यावरण के लिए भी खतरनाक है. ऐसे में पशु प्रेमी राजीव घोष ने सभी तरह के पटाखों पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने लगाने की अपील की है. उन्होंने कहा कि दीपावली के अवसर पर सिर्फ एक दिन पटाखें नहीं फोड़े जाते. दिवाली के तीन-चार दिन पहले से और छह-सात दिन बाद तक कोलकाता समेत आसपास के इलाकों में आतिशबाजी की जाती है. पटाखों की आवाज से सबसे अधिक परेशानी कुत्ते-बिल्लियों को होती है. उन्हें दिल का दौड़ा पड़ सकता है. उनमें एंग्जायटी (मानिसक तनाव) और खिंचाव की शिकायत हो सकती है. इन वजहों से कई बार कुत्तों की मौत तक हो जाती है. आवारा कुत्ते पटाखों के शोर से बचने के लिए इधर-उधर भागने लगते हैं और इस कारण कई बार गाड़ियों की चपेट में आकर अपनी जान गंवा बैठते हैं. एक अन्य पशु प्रेमी अर्जोइता दास ने बताया कि दिवाली के एक सप्ताह पहले से ही पटाखें फोड़े जाते रहे हैं. राजीव घोष ने कहा कि प्रशासन की भूमिका से हम संतुष्ट नहीं है. क्योंकि प्रशासन अगर चाहे, तो पटाखों पर पूरी तरह से रोक लगा सकता है. पटाखों से कुत्तों को होने वाले नुकसान के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए सोशल मीडिया पर अभियान चलाया जा रहा है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है