शॉर्ट फिल्मों के साथ विदेशी फिल्मों में भी रुचि दिखा रहे सिनेमा प्रेमी
राज्य सरकार द्वारा आयोजित यह महोत्सव ऋत्विक घटक, प्रदीप कुमार, संतोष दत्त, सलिल चौधरी व राज खोसला को उनकी जन्मशती पर श्रद्धांजलि अर्पित कर रहा है.
भारती जैनानी, कोलकाता
फिल्म के शौकीन लोगों के लिए कोलकाता अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (केआइएफएफ) उनकी आत्मा का उत्सव है. यह 31वां वर्ष है. महानगर के 21 वेन्यू में अलग-अलग फिल्मों को देखने के लिए सिने प्रेमी काफी उत्साहित दिख रहे हैं. रविवार को नंदन में शॉर्ट एंड डॉक्यूमेंट्री फिल्मों की श्रेणी में रितम रायांश श्रीमनी द्वारा निर्देशित ए स्टोरी दैट बिगेंस विथ डेथ, फिल्म चक्री और एक दिन का मेहमान जैसी शॉर्ट फिल्मों की स्क्रीनिंग में भी दर्शकों की अच्छी भीड़ देखी गयी. राज्य सरकार द्वारा आयोजित यह महोत्सव ऋत्विक घटक, प्रदीप कुमार, संतोष दत्त, सलिल चौधरी व राज खोसला को उनकी जन्मशती पर श्रद्धांजलि अर्पित कर रहा है. ये सभी भारतीय सिनेमा को शीर्ष तक पहुंचाने वाले भारत के गौरव हैं. उनकी जन्मशती पर, केआइएफएफ में तीन विदेशी फिल्मी हस्तियों, सैमुअल पेकिनपाह, रिचर्ड बर्टन और वोजिशेक को भी श्रद्धांजलि स्वरूप सत्र आयोजित किये जा रहे हैं. सैमुअल पेकिनपाह की बात करें, तो उन्होंने हॉलीवुड सिनेमा की भाषा बदल दी. वह एक प्रसिद्ध अमेरिकी फिल्म निर्देशक थे. उन्हें सैम पेकिनपाह के नाम से भी जाना जाता था. उनका जन्म 21 फरवरी, 1925 को फ्रेस्नो, कैलिफोर्निया में हुआ था. थिएटर में पढ़ाई करने वाले सीलैंड से मिलने के बाद पेकिनपाह को निर्देशन में रुचि जगी. अपनी मास्टर डिग्री हासिल करने से पहले, उन्होंने लॉस एंजिल्स के पास हंटिंगटन पार्क सिविक थिएटर में निर्देशक के रूप में दो सीजन बिताये. पेकिनपाह ने स्वतंत्र रूप से कई यादगार फिल्मों का निर्देशन किया. द वाइल्ड बंच, द डेविल्स एडवाइजर, पैट गैरेट एंड बिली द किड जैसी फिल्में बेहद सफल रहीं. उनके द्वारा निर्देशित दो फिल्में फिल्म समारोह में प्रदर्शित की गयी हैं. वर्ष 1969 में बनी द वाइल्ड बंच आठ नवंबर को नंदन-1 में दिखायी गयी. इसमें विलियम होल्डन, अर्नेस्ट बोर्गनीन और रॉबर्ट रयान समेत कई मशहूर कलाकारों ने अभिनय किया है. रवींद्र ओकाकुरा भवन में पैट गैरेट एंड बिली द किड फिल्म दिखायी गयी. यह 1973 में बनी थी. इसमें जेम्स कोबर्न, क्रिस क्रिस्टोफरसन, रिचर्ड जैकल, केटी जुराडो, चिल विल्स, बैरी सुलिवन, जेसन रॉबर्ड्स, स्लिम पिकन्स और बॉब डायलन ने अभिनय किया था. इनके अलावा रिचर्ड बर्टन को सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के लिए ऑस्कर के लिए सात बार नामांकित किया गया था, लेकिन उन्होंने कभी यह पुरस्कार नहीं जीता. उन्होंने सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के लिए बाफ्टा, गोल्डन ग्लोब और टोनी पुरस्कार जीते. 1943 में, उन्होंने लंदन के सेंट मार्टिन थिएटर में द ड्र्यूड्स रेस्ट में अभिनय करके अपने रंगमंचीय करियर की शुरुआत की. रिचर्ड ने 1950 के दशक में खुद को एक शक्तिशाली शेक्सपियरियन अभिनेता के रूप में स्थापित किया. उन्हें माई कजिन रेचेल (1952), द रोब (1953), बेकेट (1964), द स्पाई हू केम इन फ्रॉम द कोल्ड (1965), हू इज अफ्रेड ऑफ वर्जीनिया वूल्फ? (1966), ऐनी ऑफ द थाउजेंड डेज (1969) और इक्वस (1977) में उनके अभिनय के लिए ऑस्कर नामांकन प्राप्त हुआ. 1960 के दशक के मध्य तक, वह हॉलीवुड में एक बॉक्स-ऑफिस स्टार बन गये. दशक के अंत तक, वह दुनिया के सबसे अधिक भुगतान पाने वाले अभिनेताओं में से एक थे.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है
