आयोग को जवाब देने के लिए बाध्य हैं मुख्य सचिव : कमीशन

राज्य सरकार को चार अधिकारियों के खिलाफ पुलिस में प्राथमिकी दर्ज कराने का भी निर्देश दिया गया है. राज्य सचिवालय ने चुनाव आयोग से कहा है कि राज्य सरकार संबंधित अधिकारियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज नहीं करेगी.

By AKHILESH KUMAR SINGH | August 7, 2025 1:30 AM

संवाददाता, नयी दिल्ली/कोलकाता

केंद्रीय चुनाव आयोग ने मंगलवार को पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव मनोज पंत को पत्र लिखकर पूर्व मेदिनीपुर और दक्षिण 24 परगना में चुनाव कार्य में शामिल चार सरकारी अधिकारियों को मतदाता सूची में फर्जी वोटरों के नाम शामिल करने के आरोप में निलंबित करने का निर्देश दिया था. राज्य सरकार को इन अधिकारियों के खिलाफ पुलिस में प्राथमिकी दर्ज कराने का भी निर्देश दिया गया है. राज्य सचिवालय ने चुनाव आयोग (इलेक्शन कमीशन) से कहा है कि राज्य सरकार संबंधित अधिकारियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज नहीं करेगी. बुधवार को मुख्यमंत्री ने भी यह बात कही. सूत्रों के अनुसार, इसे लेकर चुनाव आयोग ने राज्य सरकार ने कहा कि जब मतदाता सूची में नाम जोड़ने या उसे सही करने का काम होता है, तो अधिकारियों को यह काम राष्ट्रीय चुनाव आयोग के अधीन करना होता है और पूरे कार्य की जिम्मेदारी चुनाव आयोग की होती है. संविधान का अनुच्छेद 324 चुनाव आयोग को मतदाता सूची तैयार करने और चुनाव आयोजित करने का अधिकार देता है. अनुच्छेद 324(6) के अनुसार, राज्य उस काम के लिए लोग उपलब्ध कराने के लिए बाध्य है. मुख्य सचिव आयोग को जवाब देने के लिए बाध्य है. ऐसे में अगर आयोग मुख्य सचिव के जवाब से संतुष्ट नहीं होता है या उसे कोई स्पष्टीकरण नहीं मिलता है, तो वह उनके ख़िलाफ कार्रवाई भी कर सकता है.

निलंबित अधिकारियों पर दक्षिण 24 परगना के बरुईपुर पूर्व और पूर्व मेदिनीपुर के मोयना विधानसभा क्षेत्रों में मतदाता सूची तैयार करते समय कथित रूप से अनियमितताएं बरतने का आरोप है. राज्य के मुख्य सचिव मनोज पंत को लिखे पत्र में निर्वाचन आयोग के सचिव सुजीत कुमार मिश्रा ने कहा कि राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने दो निर्वाचन क्षेत्रों की मतदाता सूचियों में ‘गलत तरीके से नाम जोड़े जाने’ का विवरण देते हुए एक रिपोर्ट भेजी है.

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