कोलकाता में कुछ शर्तों के साथ वाहन चलाने को तैयार बस मालिक, यात्रियों की संख्या बढ़ाने का दिया प्रस्ताव

कोराना महामारी (Corona pandemic) के प्रकोप के बीच देश में जारी लॉकडाउन के चौथे चरण में छूट मिलते ही कोलकाता में सरकारी बसों के अलावा टैक्सी व ऑटो रिक्शा को भी चलाने की छूट दे दी गयी है. पश्चिम बंगाल बस व मिनी ऑनर्स एसोसिएशन ने कुछ शर्तों के साथ बस चलाने की बातें कही हैं.

By Prabhat Khabar Print Desk | May 28, 2020 10:47 PM

कोलकाता : कोरोना महामारी (Corona pandemic) के प्रकोप के बीच देश में जारी लॉकडाउन के चौथे चरण में छूट मिलते ही कोलकाता में सरकारी बसों के अलावा टैक्सी व ऑटो रिक्शा को भी चलाने की छूट दे दी गयी है. हालांकि, छूट मिलने के बाद भी बस मालिक वाहन चलाने को तैयार नहीं हैं, क्योंकि राज्य परिवहन विभाग के अध्यादेश के अनुसार निजी बसों में 20 यात्री व मिनी बस में एक साथ 15 यात्री ही सवार हो सकते हैं. सरकार के इस अध्यादेश के बाद बस मालिक किराये बढ़ाये जाने की मांग कर रहे हैं, लेकिन सरकार ने किराया बढ़ाने से साफ इनकार कर दिया है. हालांकि, पश्चिम बंगाल बस व मिनी ऑनर्स एसोसिएशन ने कुछ शर्तों के साथ बस चलाने की बातें भी कही हैं.

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इधर, चक्रवाती तूफान अम्फान के बाद सीएम ममता बनर्जी ने निजी बसों को चलाने का निर्देश दिया है. सीएम के आदेश के बाद विभिन्न बस यूनियन वाहन चलाने के संकेत दिये हैं, लेकिन साथ ही किराया बढ़ाने की भी मांग कर रहे हैं.

इस विषय में पश्चिम बंगाल बस व मिनी ऑनर्स एसोसिएशन (West Bengal Bus and Mini Honors Association) के सचिव प्रदीप नारायण बोस ने बताया कि बसों को चलाने जाने को लेकर संगठन के सदस्यों व परिवहन विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक हुई है. हम वाहनों को चलाने को तैयार हैं, लेकिन हमारी कुछ शर्तें हैं, जिन्हें सरकार को मानना पड़ेगा.

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उन्होंने कहा कि इससे पहले मिनी बस का न्यूनतम किराया 30 रुपये व अधिकतम किराया 45 रुपये किये जाने का प्रस्ताव हमने सरकार को दिया था, लेकिन सरकार हमारे इस प्रस्ताव को नकार दी है. अब सीएम के कहने पर हम मिनी बस चलाने को तैयार हैं, लेकिन मिनी बस में 15 यात्री की जगह 25 और बड़े बसों में 30 यात्री को अगर बैठने की अनुमति दी जाये, तो हम वाहन चलायेंगे. इसके साथ ही सरकार कुछ किराया भी बढ़ाये, तभी वाहनों को चलाना संभव होगा. संगठन के इस प्रस्ताव को राज्य परिवहन विभाग के अधिकारियों के सामने रखा जायेगा.

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उधर, ज्वांइट काउंसिल ऑफ बस सिंडिकेट के महासचिव तपन बनर्जी ने बताया कि सब्सिडी के बगैर बसों को चलाना संभव नहीं है. सरकार या तो बसों को चलाने में आने वाले खर्च या आय का हिसाब कर उन्हें दें. उन्होंने भी बसों का किराया बढ़ाने की मांग की है.

Posted By : Samir ranjan.

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