विस चुनाव में भाजपा भी दे रही राजनीतिक एजेंसी पर जोर
अगले वर्ष होने जा रहे विधानसभा चुनाव में एजेंसियों की भूमिका अहम होने जा रही है. तृणमूल कांग्रेस ने आइ-पैक पर फिर से भरोसा जताया है
कोलकाता. अगले वर्ष होने जा रहे विधानसभा चुनाव में एजेंसियों की भूमिका अहम होने जा रही है. तृणमूल कांग्रेस ने आइ-पैक पर फिर से भरोसा जताया है. वहीं, भाजपा भी पीछे नहीं है. उसने भी राजनीतिक विश्लेषण एजेंसी को नियुक्त किया है. निचले स्तर के कर्मियों को एजेंसी के साथ मिल कर काम करने का निर्देश देने का काम भी शुरू हो गया है. भाजपा यह मान रही है कि पिछली बार हुए चुनाव में तृणमूल की सफलता के पीछे सलाहकार एजेंसी की बड़ी भूमिका थी. 2019 के लोकसभा चुनाव में झटका लगने के बाद 2021 के चुनाव में तृणमूल इतना बेहतर रिजल्ट नहीं कर पाती. अब भाजपा भी एजेंसी पर भरोसा जता रही है कि चुनाव में कुछ करिश्मा देखने को मिल सकता है. उक्त एजेंसी का काम निचले स्तर से घर-घर जाकर तथ्य संग्रह करना होगा. लोगों की समस्याएं को सुनना, उसके आधार पर डेटाबेस तैयार करने का होगा. किस इलाके में क्या मुद्दा है, किन क्षेत्रों में आरएसएस व भाजपा का प्रभाव कितना है, यह सब डेटाबेस में रहेगा. चुनाव प्रचार में भी एजेंसी के कर्मियों का उपयोग किया जा सकता है.
भाजपा चाहती है कि एजेंसी दूसरे राज्यों के कर्मियों को इस्तेमाल कम करें. राज्य के युवाओं को इस काम से जोड़ने की योजना है. नियुक्ति के लिए कुछ शर्तें भी निर्धारित की गयी हैं. आवेदनकर्ता को हिंदुत्व विचारधारा का होना होगा. भाजपा या संघ से किसी संगठन से जुड़े युवाओं को प्राथमिकता मिलेगी. उम्र 35 साल से नीचे होनी चाहिए. शैक्षणिक योग्यता स्नातक तक जरूरी है. उनके पास स्मार्ट फोन रहना चाहिए. कंप्यूटर का प्राथमिक ज्ञान का होना भी जरूरी है. आवेदनकारियों के पास बाइक या स्कूटी का होना भी आवश्यक है. वेतन प्रति माह 35 हजार रुपये मिलेंगे.
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