दीपावली में धुआं और चिंगारी से बरतें सावधानी, आंखों का रखें विशेष ख्याल

दिवाली रोशनी का त्योहार है और यह भारत के सबसे लोकप्रिय त्योहारों में से एक है. लेकिन अब यह वायु प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण का भी एक बड़ा स्रोत बन गया है.

By AKHILESH KUMAR SINGH | October 20, 2025 1:57 AM

संवाददाता, कोलकाता

दिवाली रोशनी का त्योहार है और यह भारत के सबसे लोकप्रिय त्योहारों में से एक है. लेकिन अब यह वायु प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण का भी एक बड़ा स्रोत बन गया है. आतिशबाजी ब्रोन्कियल अस्थमा, क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी), हृदय संबंधी विकारों और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं के लिए भी कारक बन सकती हैं. देश के लगभग हर शहर और राज्य में दिवाली के अवसर पर आतिशबाजी और पटाखे फोड़े जाते हैं. इस संदर्भ में टेक्नो इंडिया दामा अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ एमएस पुरकैत ने बताया कि दिवाली के दौरान सबसे आम स्वास्थ्य समस्याओं में से एक जलने की चोटें हैं. इसके लिए सूती कपड़े पहनना चाहिए, क्योंकि सिंथेटिक कपड़े आसानी से आग पकड़ लेते हैं. पैरों में बंद जूते पहनकर किसी भी तरह की जलन से बचा जा सकता है. पटाखे जलाते समय दुपट्टा या ढीले कपड़े पहनने से बचें. दिवाली के दौरान मोमबत्तियां या दीये जलाकर आतिशबाजी करने से वायु प्रदूषण को काफी हद तक रोका जा सकता है. वायु प्रदूषण से आंखें, नाक, गला और त्वचा जल सकती हैं, जिससे आंखों से पानी आना, छींक आना और सूखी खांसी जैसी समस्याएं हो सकती हैं. नाक स्प्रे और एंटी-एलर्जिक दवाइयां पास रखना उचित है. इन समस्याओं से ब्रोन्कियल अस्थमा या सीओपीडी के लक्षण बढ़ सकते हैं, जिससे सांस लेने में तकलीफ हो सकती है और अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत पड़ सकती है. ऐसे मरीजों को दिवाली के दिन घर में भी फेस मास्क पहनना चाहिए.

दिशा आई हॉस्पिटल की नेत्र विशेषज्ञ डॉ आंचल मित्रा ने बताया कि दिवाली के दिन आंखों की सुरक्षा के लिए अतिरिक्त सावधानी जरूरी है. अगर आंखों में कोई कांच या गर्म और जलती हुई चीज चली जाए, तो तुरंत बहुत सारे साफ पानी से धोएं. केवल साफ पानी का ही प्रयोग करें. हो सके तो बर्फ या ठंडी सिकाई करें और जितनी जल्दी हो सके नजदीकी डॉक्टर से संपर्क करें. डॉ मित्रा ने बताया कि दिवाली के दौरान कई आई हॉस्पिटल में विशेष आपातकालीन विभाग खुले रहते हैं. आतिशबाजी के दौरान चश्मा पहनना आंखों की सुरक्षा के लिए बहुत महत्वपूर्ण है. ऐसे पटाखों के पास न जायें, जो फूट न पाए हों. कॉन्टैक्ट लेंस पहनने वाले लोग पटाखों या आतिशबाजी के पास न जायें, क्योंकि लंबे समय तक तेज गर्मी में रहने पर इससे आंखों में जलन हो सकती है. आंखों में चोट लगने पर उन्हें रगड़ें नहीं और न ही हल्दी पाउडर, नारियल तेल जैसे घरेलू उपचारों का इस्तेमाल करें. आंखों के अंदर कोई छोटा कण चला जाए, तो आंखों को लगभग 10 मिनट तक साफ पानी से धोएं और फिर जल्द से जल्द किसी नेत्र विशेषज्ञ से सलाह लें.

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