अपराध कर सकते हैं, यह कहकर गिरफ्तारी नहीं की जा सकती: हाइकोर्ट

नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के एक मामले में कोर्ट ने की टिप्पणी

By SANDIP TIWARI | August 26, 2025 11:03 PM

नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के एक मामले में कोर्ट ने की टिप्पणी

कोलकाता. कलकत्ता हाइकोर्ट ने मंगलवार को एक महत्वपूर्ण टिप्पणी करते हुए कहा कि केवल इस आशंका के आधार पर किसी को गिरफ्तार या हिरासत में नहीं रखा जा सकता कि वह भविष्य में अपराध कर सकता है. इसके लिए ठोस और वैधानिक आधार होना जरूरी है. यह टिप्पणी अदालत ने दक्षिण 24 परगना के मगराहाट निवासी जहांआरा बीबी और उनके बेटे की ओर से दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई करते हुए दी. दोनों को इस साल जनवरी में नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) ने गिरफ्तार किया था. उन पर मादक पदार्थों की तस्करी के आरोप लगे थे और वे पहले से ही तीन मामलों में जमानत पर थे. एनसीबी ने आशंका जतायी थी कि वे फिर से आपराधिक गतिविधियों में शामिल हो सकते हैं, इसी आधार पर उन्हें गिरफ्तार कर झारखंड की जेल में भेजा गया था. न्यायमूर्ति तपोब्रत चक्रवर्ती और न्यायमूर्ति ऋतोब्रत कुमार मित्रा की खंडपीठ ने कहा कि निवारक निरोध का आदेश असंवैधानिक हो जाता है, यदि उसका उपयोग पुराने अपराधों के लिए दंडित करने या अदालत से जमानत मिलने के बाद भी अभियुक्त को कैद में रखने के लिए किया जाये. गौरतलब रहे कि जहांआरा और उनके बेटे को पहले हेरोइन और गांजा की तस्करी के तीन मामलों में गिरफ्तार किया गया था, लेकिन इन सभी मामलों में उन्हें हाइकोर्ट से जमानत मिल चुकी थी. अदालत ने साफ कहा कि केवल भविष्य में अपराध करने की आशंका पर गिरफ्तारी नहीं की जा सकती.

और दोनों की तत्काल रिहाई का आदेश दिया.

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