क्यों नहीं मिला अदालत के प्रशासनिक खर्च के लिए मांगा गया फंड : हाइकोर्ट

कलकत्ता हाइकोर्ट ने गुरुवार को राज्य के मुख्य सचिव से पूछा कि आखिर राज्य सरकार द्वारा कलकत्ता हाइकोर्ट समेत राज्य की अन्य अदालतों के प्रशासनिक मामलों को सुचारू रूप से चलाने के लिए धनराशि आवंटित क्यों नहीं की जा रही है.

By BIJAY KUMAR | September 11, 2025 9:23 PM

कोलकाता.

कलकत्ता हाइकोर्ट ने गुरुवार को राज्य के मुख्य सचिव से पूछा कि आखिर राज्य सरकार द्वारा कलकत्ता हाइकोर्ट समेत राज्य की अन्य अदालतों के प्रशासनिक मामलों को सुचारू रूप से चलाने के लिए धनराशि आवंटित क्यों नहीं की जा रही है. हाइकोर्ट के न्यायाधीश देबांग्शु बसाक और न्यायाधीश मोहम्मद शब्बर रशीदी की खंडपीठ ने राज्य के मुख्य सचिव मनोज पंत से सात दिनों के भीतर यह बताने को कहा है कि राशि आवंटित क्यों नहीं हो रही है. गुरुवार को राज्य के मुख्य सचिव हाइकोर्ट की सुनवाई में वर्चुअल माध्यम से उपस्थित हुए. खंडपीठ ने कहा कि नियमानुसार धनराशि मांगने के बावजूद धनराशि क्यों नहीं मिली? मुख्य सचिव को 17 सितंबर को इसका कारण बताना होगा.उधर, मनोज पंत ने हाइकोर्ट को बताया कि वह शीघ्र ही पूरे मामले की जांच करेंगे और न्यायालय को उस जानकारी से अवगत करायेंगे. न्यायमूर्ति देबांग्शु बसाक ने टिप्पणी की कि संविधान के अनुच्छेद 229 के अनुसार, राज्य सरकार को हाइकोर्ट और राज्य के न्यायिक कार्यों के खर्चों का वहन करना होता है. लेकिन आरोप है कि राज्य ने भुगतान नहीं किया, जबकि 2024 में अदालत चलाने के खर्च के लिए विशेष रूप से धन का अनुरोध किया गया था. नतीजतन, अदालत के कई स्थानों पर पर्याप्त इंटरनेट सेवा नहीं है, यहां तक कि कार्ट्रिज व कागज नहीं है. आरोप है कि पिछले साल दिसंबर में सीसीटीवी कैमरा के लिए अनुरोध करने के बाद भी यह नहीं मिला. दूसरी ओर, अदालत ने पाया कि राज्य ने हाइकोर्ट भवन समिति द्वारा अनुमोदित 55 परियोजनाओं के लिए 5.69 करोड़ रुपये जारी नहीं किये. 30 से अधिक परियोजनाओं के लिए चार करोड़ रुपये से अधिक जारी नहीं किये गये. आरोप है कि हाइकोर्ट के मुख्य भवन के तहत चिकित्सा इकाई के लिए भी धन नहीं मिला. नतीजतन, वकीलों या वादकारियों को बीमार पड़ने पर इलाज नहीं मिल पायेगा. न्यायिक विभाग को सूचित करने के बाद भी पैसा नहीं मिला.

मुख्य सचिव ने कहा कि उन्हें 25 अगस्त को हाइकोर्ट प्रशासन के हलफनामे से पता चला कि 10.41 करोड़ रुपये बकाया हैं. हाइकोर्ट प्रशासन के वकील सैकत बनर्जी ने दलील दी कि अप्रैल की शुरुआत में जिला न्यायिक विभाग के प्रशासनिक कार्यों के लिए पांच लाख रुपये बकाया थे. मार्च के अंत में कुछ पैसे मिले थे. 15 दिन में खर्च न करने पर उन्हें वापस कर दिया गया.

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