सरकारी अधिकारी का नाम वोटर लिस्ट से गायब होने का आरोप

पश्चिम बंगाल में एसआइआर की तैयारियों के बीच चुनाव आयोग की पारदर्शिता पर अब सवाल उठने लगे हैं.

By AKHILESH KUMAR SINGH | October 10, 2025 2:25 AM

संवाददाता, कोलकाता

पश्चिम बंगाल में एसआइआर की तैयारियों के बीच चुनाव आयोग की पारदर्शिता पर अब सवाल उठने लगे हैं. दक्षिण 24 परगना के बारुईपुर निवासी और कोलकाता नगर निगम के उच्च पदस्थ कर्मचारी उत्पल सरदार, जो खुद दो बार फर्स्ट पोलिंग ऑफिसर और दो बार प्रिसाइडिंग ऑफिसर रह चुके हैं, अब खुद वोटर लिस्ट से बाहर हो गये हैं. उनके 1995 से बने वोटर कार्ड और आधार कार्ड दोनों को रद्द किये जाने का मामला सामने आयी है.

सरदार ने बताया कि उनका वोटर कार्ड 1995 में बना था और तब से वह हर चुनाव में मतदान करते आये हैं. उन्होंने 2023 के पंचायत चुनाव और 2024 के लोकसभा चुनाव में प्रिसाइडिंग ऑफिसर की भूमिका निभायी थी, लेकिन कुछ दिन पहले जब उन्होंने एक निजी कार्य के दौरान अपने दस्तावेज जांचे, तो पाया कि उनका वोटर कार्ड रद्द हो चुका है और नाम मतदाता सूची से हटा दिया गया है. बाद में उन्हें मोबाइल फोन पर आधार कार्ड निरस्त होने का संदेश मिला. बैंक से भी केवाइसी लिंक करने का नोटिफिकेशन आने के बाद अब वह उलझन में हैं कि जब आधार ही रद्द हो गया है, तो वह केवाइसी कैसे करें.

सरदार का कहना है कि उन्हें चिंता है कि यदि उनके बैंक खाते से जुड़ी जानकारी रद्द हो गयी, तो उनकी सैलरी उनके अकाउंट में पहुंचेगी या नहीं, और अगर पहुंची भी तो क्या वह उसे निकाल पायेंगे. उन्होंने बताया कि पिछले वर्ष उनकी पत्नी रेनु सरदार का भी नाम मतदाता सूची से हटा दिया गया था. उन्होंने ऑनलाइन आवेदन किया, लेकिन आवेदन खारिज हो गया और अब उनका खुद का नाम भी सूची से हटा दिया गया है. उन्होंने चुनाव आयोग से अपील की है कि न केवल उनका मामला देखा जाये, बल्कि यह भी सुनिश्चित किया जाये कि पश्चिम बंगाल में कोई भी वैध मतदाता भविष्य में इस तरह की गलती का शिकार न हो.

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