जो देश अपना इतिहास भूल जाता है, उसका अस्तित्व खतरे में पड़ जाता है : जनरल डॉ वीके सिंह
उन्होंने कहा कि जो देश अपना इतिहास भूल जाता है, वह अंततः विलुप्त हो जाता है. उसका अस्तित्व खतरे
कोलकाता. मंगलवार को 54वें विजय दिवस पर भारतीय थल सेना के पूर्वी कमान के मुख्यालय विजय दुर्ग (फोर्ट विलियम) में आयोजित कार्यक्रम में पूर्व सेना प्रमुख व मिजोरम के राज्यपाल जनरल (सेवानिवृत्त) डॉ वीके सिंह ने बांग्लादेश को लेकर परोक्ष तौर पर अहम टिप्पणी की. उन्होंने कहा कि जो देश अपना इतिहास भूल जाता है, वह अंततः विलुप्त हो जाता है. उसका अस्तित्व खतरे में पड़ जाता है. उनके इस बयान को क्षेत्रीय और कूटनीतिक संदर्भ में महत्वपूर्ण माना जा रहा है. विजय दिवस समारोह में बांग्लादेश से आये 20 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल की मौजूदगी रही, जिनमें आठ मुक्ति योद्धा शामिल थे. कार्यक्रम को संबोधित करते हुए श्री सिंह ने कहा कि 1971 में जिन लोगों ने बलिदान दिया, उन्हें याद रखकर ही बांग्लादेश की जनता को यह तय करना होगा कि देश किस दिशा में आगे बढ़ेगा. उन्होंने कहा कि इतिहास से कटाव किसी भी राष्ट्र के लिए घातक साबित होता है. बांग्लादेश की मौजूदा स्थिति पर पूछे गये सवाल के जवाब में पूर्व सेना प्रमुख ने कहा कि भारत चाहता है कि बांग्लादेश में शांति बनी रहे, उसकी अर्थव्यवस्था मजबूत हो और लोगों को अपने ही देश में रोजगार मिले. उन्होंने कहा कि हालात ऐसे होने चाहिए कि नागरिकों को रोजी-रोटी के लिए दूसरे देशों की ओर पलायन न करना पड़े. इस अवसर पर राज्यपाल डॉ सीवी आनंद बोस भी उपस्थित थे. गत सोमवार को ही बांग्लादेशी प्रतिनिधिमंडल भारत पहुंचा था और उसी दिन राज्यपाल से मुलाकात कर शुभकामनाओं का आदान-प्रदान किया था. विजय दिवस समारोह में बांग्लादेश के मुक्ति योद्धाओं के साथ विशेष अतिथि के रूप में ब्रिगेडियर जनरल एम लुत्फर रहमान और मेजर शेर-ए-शाहबाज मौजूद रहे. उनके परिवार के सदस्य भी कार्यक्रम में शामिल हुए. बांग्लादेश से आये मुक्ति योद्धाओं में मोहम्मद हबीबुल आलम, कामरुल आबेदिन, आलोक कुमार गुप्ता और मनीष देवान जैसे सेवानिवृत्त मेजर शामिल थे. उधर, विजय दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया पर देशवासियों को शुभकामनाएं दीं और 1971 के युद्ध में पाकिस्तानी सेना को परास्त करने वाले भारतीय जवानों को श्रद्धांजलि अर्पित की. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भी भारतीय सशस्त्र बलों की निष्ठा और देशभक्ति को याद किया. उन्होंने 1971 के युद्ध के साथ-साथ हालिया पहलगाम हमले के बाद सफल ‘सिंदूर’ ऑपरेशन का भी उल्लेख किया. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि 1971 का युद्ध भारतीय थल, जल और वायु सेनाओं की अतुलनीय वीरता का प्रतीक था.
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