मैं मुस्लिमों का नहीं, मानवता का तुष्टीकरण करती हूं : ममता

कोलकाता : नेताजी इंडोर स्टेडियम में भारत सेवाश्रम संघ के महाराज की 125वीं जयंती पर आयोजित कार्यक्रम में लोगों को संबोधित करते हुए सर्वधर्म सद्भाव का एलान किया. उन्होंने कहा, कुछ लोग मुझ पर आरोप लगाते हैं कि मैं मुस्लिम तुष्टीकरण करती हूं. मैं यह बात खुल कर कहती हूं कि मैं मुस्लिम तुष्टीकरण नहीं, […]

By Prabhat Khabar Print Desk | February 21, 2020 2:16 AM

कोलकाता : नेताजी इंडोर स्टेडियम में भारत सेवाश्रम संघ के महाराज की 125वीं जयंती पर आयोजित कार्यक्रम में लोगों को संबोधित करते हुए सर्वधर्म सद्भाव का एलान किया. उन्होंने कहा, कुछ लोग मुझ पर आरोप लगाते हैं कि मैं मुस्लिम तुष्टीकरण करती हूं. मैं यह बात खुल कर कहती हूं कि मैं मुस्लिम तुष्टीकरण नहीं, बल्कि मानवता का तुष्टीकरण करती हूं, क्योंकि मानवता का मतलब सेवा और मानवता का मतलब प्रेम और भाईचारा है. मैं इसी नीति पर यकीन करती हूं और इसी पर चलती हूं.

भाजपा का नाम लिये बिना ममता ने निशाना साधते हुए कहा कि आजकल कुछ लोग अनाप शनाप धर्म की बात करते हैं, जो लोग उनको अच्छा लगेंगे, उसको रखेंगे और जो उनको अच्छा नहीं लगेगा उसको निकाल कर बाहर करेंगे. हमलोग इस तरह के धर्म पर यकीन नहीं करते हैं. बहुत से लोग हैं, जो तरह-तरह की बात करते हैं, लेकिन काम की बात कोई नहीं करता है. हालांकि भारत सेवाश्रम संघ जो कहता है वही करता है. यही इसकी खासियत है जो लोगों को दूसरे से अलग रखती है.

उन्होंने आरोप लगाया कि साजिश करके उनको शिकागो में आयोजित कार्यक्रम में जाने नहीं दिया गया. उन्होंने कहा कि धर्म को लेकर राजनीति बंद होनी चाहिए. हिंसा और भेदभाव नहीं, बल्कि लोगों को प्रेम और भाईचारे से आगे लेकर चलना होगा.कार्यक्रम की शुरुआत संघ के संस्थापक प्रणवानंद की 125वीं जयंती के उपलक्ष्य में शिवरात्रि के पहले बालीगंज स्थित संघ के प्रधान कार्यालय से एक रंगारंग शोभायात्रा निकली, जो रासबिहारी एवेन्यू, आशुतोष मुखर्जी रोड होते हुए नेताजी इंडोर स्टेडियम पहुंचा, जहां कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ.
शोभायात्रा में छाऊ नांच, लाठी खेला, छुरा खेल समेत बंगाल की विभिन्न संस्कृति को दर्शाता रहा. कार्यक्रम का शुभारंभ करते हुए संघ के प्रधान संपादक स्वामी ‍विश्वात्मानंद महाराज ने कहा कि प्रणवानंद ने चाहा था कि गरीब व पिछड़े वर्ग के लोग स्वनिर्भर व आत्मनिर्भर हो. इसके लिए वह ग्रामीण अर्थनीति को बढ़ावा देने के पक्ष में हैं.

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