बोले बंगाल भाजपा अध्यक्ष- यदि जेल नहीं जाते तो आप नेता नहीं, पुलिस गिरफ्तार नहीं करती तो…

कोलकाता : बंगाल भाजपा के अध्यक्ष दिलीप घोष ने गुरुवार को एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि यदि आप जेल नहीं जाते हैं तो आप नेता नहीं हैं. अगर पुलिस आपको गिरफ्तार नहीं करती है तो आप खुद वहां जाइए. अगर पुलिस आपको जेल की कोई गुंजाइश नहीं देती तो जेल जाने के लिए कुछ […]

By Prabhat Khabar Print Desk | January 30, 2020 12:17 PM

कोलकाता : बंगाल भाजपा के अध्यक्ष दिलीप घोष ने गुरुवार को एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि यदि आप जेल नहीं जाते हैं तो आप नेता नहीं हैं. अगर पुलिस आपको गिरफ्तार नहीं करती है तो आप खुद वहां जाइए. अगर पुलिस आपको जेल की कोई गुंजाइश नहीं देती तो जेल जाने के लिए कुछ न कुछ करते रहिए. तभी लोग आपका सम्मान करेंगे। राजनीति में नरम लोगों के लिए जगह नहीं है.

आपको बता दें कि इन दिनों भाजपा प्रदेश अध्‍यक्ष सीएए के विरोधियों पर हमलावर हैं. उन्होंने बुधवार को मुर्शिदाबाद के जालंगी में सीएए का विरोध करनेवालों पर हमले व मौत की घटना पर टिप्पणी करते हुए कहा कि ऐसा सुना जा रहा है कि असददुद्दीन ओवैसी की पार्टी एमआइएम के साथ कांग्रेस व माकपा ने मिलकर नागरिक मंच के नाम के संगठन के बैनर तले बंद बुलाया था तथा तृणमूल कांग्रेस एमआइएम से डर कर हमला कर रही है. तृणमूल कांग्रेस को डर है कि एमआइएम की बढ़त बढ़ने से उसके मुस्लिम वोट कट जायेंगे, इसलिए उसके समर्थकों पर हमला किया. घोष ने कहा कि पहले तृणमूल कांग्रेस ने उन लोगों को आगे किया. अब उन्हें मार रहे हैं. अब यह समय आ गया है कि राज्य के मुसलमान यह सोचें कि वे किन पर विश्वास करें.

विवादित बयानों को लेकर सुर्खियों में रहे प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष दिलीप घोष ने इससे पहले मंगलवार को शाहीन बाग पर दिये अपने बयान से विवाद से घिर गये. कलकत्ता प्रेस क्लब में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान श्री घोष ने शाहीन बाग में चल रहे धरना पर सवाल का जवाब देते हुए कहा कि नोटबंदी के दौरान ममता बनर्जी ने कहा था कि लाइन में लगने से 100 लोगों की मौत हो गयी थी. शाहीन बाग को लेकर पूरे देश में चर्चा हो रही है. लोग दिन-रात धरना दे रहे हैं. लोगों का आरोप है कि 500 रुपये के एवज में धरना दे रहे हैं. मेरे मन में यह सवाल है कि नोटबंदी के दौरान लाइन में तीन-चार घंटे खड़े होने से मौत हो जा रही थी और शाहीन बाग में तीन-चार डिग्री तापमान में बच्चे लेकर दिन-रात आंदोलन पर बैठे हैं. वहां तो कोई नहीं मर रहा है? एक-दो लोग तो मर ही सकते हैं? क्या खाये हैं, जो कोई मर भी नहीं रहा है, इतने कष्ट के बावजूद. ममता बनर्जी भी कुछ नहीं बोल रही हैं. इन्हें किस तरह की इनसेंटिव मिल रही है. जेएनयू की चालाकी सामने आ गयी है और शाहरीन बाग की चालाकी भी सामने आ जायेगी.

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