बच्चों की पढ़ाई को आसान बना रहा है, ‘नोटबुक एंड टेक’

कोलकाता : प्रतिस्पर्धा के इस दाैर में स्कूल में पढ़नेवाले बच्चों के सामने पाठ्यक्रम को समझने व परीक्षा में उच्चतर अंकों के साथ सफलता हासिल करने की एक बड़ी चुनाैती है. इसको ध्यान में रख कर ही ‘नोटबुक एंड टेक (एजुकेशनल टेक्नोलॉजी)’ तैयार किया गया है. भारत में सबसे तेजी से बढ़ते एडटेक ब्रांड के […]

By Prabhat Khabar Print Desk | August 19, 2019 3:14 AM

कोलकाता : प्रतिस्पर्धा के इस दाैर में स्कूल में पढ़नेवाले बच्चों के सामने पाठ्यक्रम को समझने व परीक्षा में उच्चतर अंकों के साथ सफलता हासिल करने की एक बड़ी चुनाैती है. इसको ध्यान में रख कर ही ‘नोटबुक एंड टेक (एजुकेशनल टेक्नोलॉजी)’ तैयार किया गया है. भारत में सबसे तेजी से बढ़ते एडटेक ब्रांड के रूप में ‘नोटबुक’ विद्यार्थियों के बीच काफी लोकप्रिय हो रहा है.

इस पोर्टल के जरिये ऑनलाइन पढ़ने की संस्कृति विकसित करने के साथ बच्चों की पढाई को सरल व रुचिकर बनाने की कोशिश की गयी है. यह जानकारी नोटबुक के संस्थापक व मुख्य कार्यकारी अधिकारी अचिन भट्टाचार्य ने दी.

उन्होंने बताया कि ‘नोटबुक’ आइसीएसइ, सीबीएसइ, पश्चिम बंगाल शिक्षा बोर्ड, यूपी शिक्षा बोर्ड, बिहार शिक्षा बोर्ड के पाठ्यक्रम के अनुरूप अध्ययन सामग्री चित्रों, वीडियो के माध्यम से ऑनलाइन प्रदान कर रहा है. इस पोर्टल में किस्सा-कहानी की शैली में पाठ्यक्रम के वीडियोज़ बनाये गये हैं, जिससे गंभीर से गंभीर विषय को भी बच्चे सरलता से ग्रहण कर सकें. इस एडटेक को विजुअली अब तक 6 लाख से भी अधिक लोगों ने देखा है. अब ‘नोटबुक’ एक डिजिटल कंटेंट पोर्टल के रूप में विद्यार्थियों व उनके गार्जियन के बीच चर्चा का विषय बनी हुई है.

श्री भट्टाचार्य का मानना है कि आज डिजिटल क्रांति का दाैर है. वीडियो व चित्रों के माध्यम से ‘नोटबुक’ द्वारा पाठ्य सामग्री तैयार की गयी है. इसे ऑन करने के साथ ही बच्चों का पढ़ाई के प्रति उत्साह बढ़ जाता है. छात्रों को ग्लोबल सिटिजन के रूप में तैयार करने के लिए नोटबुक का एंड्रॉयड एप्प लांच किया गया है.

पोर्टल में हर वर्ग के विद्यार्थियों को सरल भाषा व आसान तरीके से समझ में आने वाले बेहतरीन कंटेट उपलब्ध करवाये गये हैं. बातचीत की शैली व किस्से-कहानी के रूप में बच्चे ज्यादा आनंद लेते हैं, इसी थीम पर सिलेबस की ऑनलाइन पोर्टल तैयार की गयी है. पाठ्यक्रम का प्रत्येक वीडियो घर पर दादी-नानी द्वारा कथा सुनाने की पुरानी पद्धति का उपयोग करके ही तैयार किया गया है.

पोर्टल का निर्माण सभी शिक्षा बोर्ड के दिव्यांग विद्यार्थियों को भी ध्यान में रखकर किया गया है. शिक्षा के क्षेत्र में क्रांति के रूप में उभर रहे ‘नोटबुक’ से स्कूलों के अनुभवी शिक्षक-शिक्षिकाओं व कॉलेज के प्रोफेसरों को जोड़ा गया है. इसके लिए एक कुशल तकनीकी टीम को जोड़ा गया है, जिसने इस प्रयास को वेब पोर्टल बनाकर मोबाइल कर दिया. बसों और रेलगाड़ियों में बैठकर भी बच्चे ‘नोटबुक’ पढ़ सकते हैं.

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