बाराबनी में कठिन त्रिकोणीय संघर्ष में फंसे बाबुल को लीड लेने की है चुनौती

वर्ष 2014 में मात्र 1413 मतों के अंतर से मिली थी बढ़त एचसीएल के बंद होने से कर्मियों, निवासियों में भारी रोष आदर्श गांव सीधाबाड़ी का भी नहीं हो सका है अपेक्षित विकास विधानसभा चुनावों में भाजपा के मतों में 24 हजार मतों की कमी स्थानीय तृणमूल विधायक विधान उपाध्याय ने की है मोर्चाबंदी आसनसोल […]

By Prabhat Khabar Print Desk | April 2, 2019 1:12 AM

वर्ष 2014 में मात्र 1413 मतों के अंतर से मिली थी बढ़त

एचसीएल के बंद होने से कर्मियों, निवासियों में भारी रोष
आदर्श गांव सीधाबाड़ी का भी नहीं हो सका है अपेक्षित विकास
विधानसभा चुनावों में भाजपा के मतों में 24 हजार मतों की कमी
स्थानीय तृणमूल विधायक विधान उपाध्याय ने की है मोर्चाबंदी
आसनसोल : आसनसोल संसदीय क्षेत्र के बाराबनी विधानसभा क्षेत्र में इस वर्ष भी त्रिकोणीय तथा कड़े संघर्ष की संभावना जतायी जा रही है. तृणमूल विधायक विधान उपाध्याय को जहां वर्ष 2014 के संसदीय चुनाव के 1413 मतों के अंतर को पाट कर भाजपा पर बढ़ी लीड लेने की चुनौती है, वहीं भाजपा प्रत्याशी बाबुल सुप्रिय को अपनी ही बढ़त को और अधिक ऊंचाइयों पर ले जाने की जरूरत है.
वाममोर्चा को अपने जनाधार को बचाते हुए दोनों के बीच से बढ़त लेने की जरूरत हैं. तीनों ही पार्टियों ने अपने-अपने स्तर से चुनावी तैयारियां शुरू कर दी हैं. सनद रहे कि विधानसभा के कुल 252 बूथों में से भाजपा को 106 बूथों पर, तृणमूल को 80 बूथों पर, वाममोर्चा को 65 बूतों पर तथा कांग्रेस को एक बूथ पर लीड मिली थी.
वर्ष 2014 के संसदीय चुनाव में भाजपा को 4,19,983 मत (38 फीसदी), तृणमूल को 3,49,503 मत (32 फीसदी) तथा वाममोर्चा प्रत्याशी को 2,55,829 मत (22 फीसदी) मत मिले थे. बाराबनी विधानसभा क्षेत्र में कुल 1,60,432 मतों में से भाजपा प्रार्थी बाबुल सुप्रिय को 49,986 मत, तृणमूल प्रार्थी दोला सेन को 48,573 मत, वाममोर्चा के प्रत्याशी वंशगोपाल चौधरी को 42,179 मत तथा कांग्रेस प्रत्याशी इंद्राणी मिश्रा को 9,596 मत मिले थे. भाजपा ने तृणमूल पर 1413 मतों की लीड बनाई थी.
इस विधानसभा में तीन पार्टियों के बीच कड़ा संघर्ष हुआ था. कुल 252 बूथों में भाजपा को 106 बूतों पर बढ़त मिली थी. जबकि तृणमूल को 80 बूथों पर लीड मिली थी. इनमें बूथ संख्या 12, 13, 27, 38, 39, 51, 56, 75, 78, 85, 87, 89, 90, 93, 94, 95, 96, 99, 101, 102, 103, 104, 105, 109, 113, 115, 117, 121, 122, 124, 129, 133, 139, 146, 147, 149, 150, 151, 152, 153, 154, 155, 156, 157, 159, 160, 163, 167, 169, 171, 172, 173, 179, 180, 181, 182, 192, 194, 200, 209, 220, 221, 228, 229, 230, 232, 235, 237, 238, 241, 242, 243, 244, 246, 247, 248, 249, 250, 251 व 252 शामिल हैं.
जबकि वाममोर्चा को 65 बूथों पर लीड मिली थी. इनमें बूथ संख्या दो, तीन, 19, 28, 29, 30, 40, 43, 44, 46, 47, 48, 52, 59, 60, 63, 64, 65, 74, 76, 83, 84, 88, 97, 100, 106, 107, 108, 112, 114, 116, 119, 120, 125, 140, 142, 143, 144, 148, 158, 161, 168, 175, 183, 186, 187, 188, 190, 191, 196, 197, 198, 202, 207, 222, 223, 224, 225, 226, 231, 233, 234, 236, 239 व 240 शामिल हैं. कांग्रेस को मात्र एक बूथ (संख्या 22) पर बढ़त मिली. उसे बूथ संख्या 151 पर एक भी मत नहीं मिले थे.लेकिन वर्ष 2016 के विधानसभा चुनाव में इस विधानसभा क्षेत्र में स्थिति बदल गई तथा तृणमूल ने 24,049 मतों से जीत दर्ज की. विधानसभा चुनाव में कुल 1,61,615 मत पड़े. जो संसदीय चुनाव से मात्र एक हजार अधिक थे.
इसमें तृणमूल के प्रार्थी विधान उपाध्याय को 77,464 (48 फीसदी), कांग्रेस समर्थित वाममोर्चा प्रत्याशी शिप्रा मुखर्जी को 53,415 (33 फीसदी) तथा भाजपा प्रत्याशी अमल राय को 25,224 (16 फीसदी) मत मिले. श्री उपाध्याय ने 24,049 मतों से जीत दर्ज की. संसदीय चुनाव से तुलना करें तो इसमें कांग्रेस तथा वाममोर्चा के मतों में कोई बदलाव नहीं दिखता है. संसदीय चुनाव में दोनों को कुल 51,775 मत मिले थे. लेकिन तृणमूल तथा भाजपा के बीच स्थिति उलट गई. तृणमूल ने अपने मतों में कमोवेश 27 हजार मतों का इजाफा किया तो भाजपा के मतों में 24,762 मतों की गिरावट आई.
इस चुनाव में भाजपा प्रार्थी के लिए चुनौती मुश्किल है. इसका मुख्य कारण रूपनारायणपुर स्थित हिंदुस्तान केबल्स लिमिटेड (एचसीएल) का बंद होना है. वर्ष 2014 में इस रूग्न कारखाने के पुनरूद्धार का प्रस्ताव केंद्र सरकार से मंजूर होने को था. लेकिन एनडे सरकार गठित होने के बाद यह ठंड़े बस्ते में चला गया. श्री सुप्रिय के भारी उद्योग मंत्रालय में राज्यमंत्री होने के बाद भी इनके अधीन इस कारखाने को बंद कर दिया गया. इससे पूरा रूपनारायणपुर तथा आसपास के इलाकों की सामाजिक व आर्थिक संरचना ध्वस्त हो गई है.
कर्मी भुगतान लेकर पलायन को विवश हुए हैं. इस पर विपक्षी पार्टियां उनके खिलाफ काफी मुखर तथा हमलावर की स्थिति में हैं. इसी विधानसभा में उनका आदर्श गांव सीधाबाड़ी भी है. अपेक्षा के अनुरूप उसका विकास नहीं हो पाया है. इन प्रतिकूल परिस्थितियों में अपनी पूर्ववर्ती लीड को बरकरार रखना तथा उसमें इजाफा करना कठिन चुनौती है.

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