शहीद-ए-आजम को धर्म प्रचारक बनाने की सर्वत्र हो रही कड़ी आलोचना

आसनसोल : शहीद-ए-आजम भगत सिंह की प्रतिमा को खांड़ा से जोड़े जाने की सर्वत्र निंदा हो रही है. युवा वर्ग ने उन्हें धर्म से जोड़ने की पहल को उनके कद को कम करने की साजिश कहा है. उनका कहना है कि भगत सिंह किसी धर्म या प्रांत तक सीमित नहीं थे और न उन पर […]

By Prabhat Khabar Print Desk | November 28, 2018 12:32 AM
आसनसोल : शहीद-ए-आजम भगत सिंह की प्रतिमा को खांड़ा से जोड़े जाने की सर्वत्र निंदा हो रही है. युवा वर्ग ने उन्हें धर्म से जोड़ने की पहल को उनके कद को कम करने की साजिश कहा है. उनका कहना है कि भगत सिंह किसी धर्म या प्रांत तक सीमित नहीं थे और न उन पर किसी विशेष समुदाय का अधिकार है. उन्होंने मेयर जितेन्द्र तिवारी से इस मामले में हस्तक्षेप करने का आग्रह किया है. उन्होंने कहा कि इससे पूरे देश में गलत संदेश जा रहा है.
भगत सिंह ने स्वयं अपनी वैचारिक प्रतिबद्धता के बारे में उल्लेख किया है- “ किसी भी कीमत पर बल का प्रयोग न करना काल्पनिक आदर्श है और नया आंदोलन जो देश में शुरू हुआ है और जिसके आरंभ की हम चेतावनी दे चुके हैं, वो गुरू गोविंद सिंह और शिवाजी, कमाल पाशा और राजा खान, वाशिंगटन और गैरीबाल्डी, लाफायेते और लेनिन के आदर्शों से प्रेरित हैं.”
धर्म के बारे में उन्होंने “मैं नास्तिक क्यों हूं” में लिखा है- “असहयोग आंदोलन के दिनों में राष्ट्रीय कॉलेज में प्रवेश लिया. यहां आकर ही मैंने सारी धार्मिक समस्याओं- यहां तक कि ईश्वर के अस्तित्व के बारे में उदारतापूर्वक सोचना, विचारना और उसकी आलोचना करना शुरू किया. पर अभी भी मैं पक्का आस्तिक था. उस समय तक मैं अपने लंबे बालरखता था. यद्यपि मुझे कभी भी सिक्ख या अन्य धर्मों की पौराणिकता और सिद्धांतों में विश्वास न हो सका.”
गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी सचिव के बयान पर उठे सवाल
युवा संगठनों के नेताओं ने शहीद-ए-आजम की प्रतिमा के साथ खांड़ा को जोड़े जाने के संबंध में गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी, बर्नपुर के सचिव सुरेन्द्र सिंह के तर्क को बेहद बचकाना और आपत्तिजनक कहा है. उन्होंने कहा कि श्री सिंह ने अपने बयान में स्वयं स्वीकार किया है कि भगत सिंह किसी खास समुदाय के न होकर पूरे भारत के लिए अनुकरणीय है.
लेकिन उनकी प्रतिमा के साथ किसी धार्मिक प्रतीक को इसलिए जोड़ दिया जाये कि उससे इस इलाके में बड़ी संख्या में सिख समुदाय के लोगों के रहने की जानकारी मिले, यह गलत है. यदि कल कोई हिन्दू भगवा झंड़ा उनकी प्रतिमा से लगा दें कि इस इलाके में बड़ी संख्या में हिन्दू रहते हैं. कोई मुसलमान आकर इस्लाम का प्रतीक लगा दे कि इस इलाके में बड़ी संख्या में मुसलमान रहते हैं, तो क्या होगा?
क्या भगतसिंह ने अपनी शहादत इसलिए दी कि उनकी प्रतिमा आबादी दिखलाने का माध्यम बने? उन्होंने कहा कि देश के इस अतुलनीय शहीद की प्रतिमा से इस तरह के खिलवाड़ को मेयर जितेन्द्र तिवारी को गंभीरता से लेना चाहिए, ताकि उनकी शहादत पूजा के समतुल्य बनी रहे.

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