कुलपति ने कहा, मुझे जान का खतरा था

कोलकाता: छात्रों के कब्जे से मुक्त कराए गए जाधवपुर यूनिवर्सिटी के कुलपति अभिजीत चक्रवर्ती ने आज कहा कि उन्हें अपने जीवन का खतरा था और यदि पुलिस नहीं आती तो उन्हें मार दिया जाता. विश्वविद्यालय परिसर में एक छात्रा के कथित यौन उत्पीडन मामले की जांच कर रही समिति में दो बाहरी सदस्यों को शामिल […]

By Prabhat Khabar Print Desk | September 17, 2014 1:18 PM

कोलकाता: छात्रों के कब्जे से मुक्त कराए गए जाधवपुर यूनिवर्सिटी के कुलपति अभिजीत चक्रवर्ती ने आज कहा कि उन्हें अपने जीवन का खतरा था और यदि पुलिस नहीं आती तो उन्हें मार दिया जाता.

विश्वविद्यालय परिसर में एक छात्रा के कथित यौन उत्पीडन मामले की जांच कर रही समिति में दो बाहरी सदस्यों को शामिल करने की मांग को लेकर छात्रों ने कुलपति और रजिस्ट्रार को बंधक बना लिया था.चक्रवर्ती ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘यदि पुलिस नहीं आती तो मैं उनके हाथों मारा जाता. वे हम पर हमला कर रहे थे और मुझे डर था कि हमें मार दिया जाएगा.’’
परिसर में बिताए भयावह समय की याद करते हुए उन्होंने कहा कि उनके पास उन्हें, रजिस्ट्रार प्रदीप घोष तथा कार्यकारी परिषद के अन्य सदस्यों की रक्षा के लिए पुलिस को बुलाने के सिवाय और कोई विकल्प नहीं था. कुलपति ने कहा कि छात्र गाली दे रहे थे और शाम 4 बजे के बाद कार्यालय नहीं छोडने देने के कारण वह बीमार पड गए.
चक्रवर्ती ने कहा, ‘‘हमने उनसे कहा कि हमें जाने दें, लेकिन वे नहीं माने और इसलिए मैं पुलिस बुलाने को विवश हो गया. जब पुलिस ने मुझे कार्यालय से बाहर निकाला तो मैंने देखा कि छात्रा मुझ पर हमला करने की कोशिश कर रहे थे.’’
छात्रों की मांग है कि यौन उत्पीडन के मामले की जांच कर रही समिति में दो बाहरी सदस्य शामिल किए जाने चाहिए. कुलपति ने कहा कि समिति उच्चतम न्यायालय के निर्देशों के अनुसार गठित की गई थी.
दूसरी ओर, छात्रों ने आरोप लगाया कि पुलिस ने उनके साथ, यहां तक कि प्रदर्शन में शामिल छेडछाड की शिकार छात्राओं के साथ भी मारपीट की. उन्होंने कहा कि शाम को वे घटना के विरोध में मार्च निकालेंगे. भारी पुलिस बल ने कुलपति और रजिस्ट्रार को आज तडके मुक्त कराया और 35 छात्रों को गिरफ्तार कर लिया.

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