यूपी में 10 दिन बिना बैग के स्कूल जाएंगे बच्चे, खेल के साथ तनावमुक्त माहौल में होगी पढ़ाई, जानें क्या है प्लान

UP: राष्ट्रीय शिक्षा नीति में बच्चों पर किताबों और बैग का बोझ कम करने पर ध्यान केंद्रित किया गया है. इसका मकसद बच्चों को तनावमुक्त पढ़ाई का माहौल प्रदान करना है, जिससे बच्चे पढ़ाई से डरे और भागे नहीं, वह इसे बोझ नहीं समझें और बिना तनाव के बेहतर माहौल में पढ़ाई कर सकें.

By Sanjay Singh | April 15, 2023 11:37 AM

Lucknow: उत्तर प्रदेश के परिषदीय विद्यालयों में मौजूदा ​शैक्षिक सत्र में कक्षा छह से आठ तक के बच्चे साल में दस दिन बिना बैग के स्कूल आएंगे. राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के तहत नई व्यवस्था को प्रभावी बनाने की तैयारी शुरू कर दी गई है.

बच्चों को बेहतर माहौल देने की तैयारी

दरअसल राष्ट्रीय शिक्षा नीति में बच्चों पर किताबों और बैग का बोझ कम करने पर ध्यान केंद्रित किया गया है. इसका मकसद बच्चों को तनावमुक्त पढ़ाई का माहौल प्रदान करना है, जिससे बच्चे पढ़ाई से डरे और भागे नहीं, वह इसे बोझ नहीं समझें और बिना तनाव के बेहतर माहौल में पढ़ाई कर सकें.

एससीईआरटी ने इस पर किया फोकस

एनसीईआरटी ने इसे लागू करना शुरू किया है. अब इसी तर्ज पर यूपी में भी ये कवायद की जा रही है. एनईपी में 50 फीसदी पढ़ाई वोकेशनल शिक्षा पर फोकस की जा रही है. इसी कड़ी में राज्य शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) ने इसे लेकर प्रक्रिया तेज कर दी है. इसमें प्रदेश के परिषदीय विद्यालयों में बच्चों को बेहतर माहौल में गणित और विज्ञान पढ़ाया जाएगा. साथ ही अन्य विषयों की पढ़ाई भी नए अंदाज में कराई जाएगी. इस बात की पूरी कोशिश होगी कि बच्चों को पढ़ाई बोझ नहीं लगे.

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बच्चों के स्किल डेवलपमेंट पर ध्यान

एससीईआरटी के संयुक्त निदेशक डॉ. पवन सचान के मुताबिक नई व्यवस्था के तहत बच्चों के स्किल डेवलपमेंट पर फो​कस किया जाएगा. इसके साथ ही उनके अंदर छिपी प्रतिभा और रुचि को लेकर भी पूरा ध्यान केंद्रित किया जाएगा, जिससे बच्चे बेहतर प्रदर्शन कर सकें. छात्रों को प्रैक्टिकल कर सीखने के बारे में सिखाया जाएगा, जिससे वह आसानी से समझ सकें. बच्चों का शैक्षिक और बौद्धिक विकास सिर्फ किताबों के जरिए नहीं हो, उन्हें अन्य गति​विधियों के जरिए भी अहम बातें सिखाई जा सकें, इसकी तैयारी की जा रही है.

छात्रों के ‘एजुकेशनल टूर’ पर जोर

खास बात है कि नई व्यवस्था में बच्चों के ‘एजुकेशनल टूर’ पर भी फोकस किया गया है. बच्चों को उनके जनपद और प्रदेश के प्राचीन, ऐतिहासिक और पर्यटन स्थलों का भ्रमण कराया जाएगा, जिससे वह इनके बारे में ज्यादा अच्छी तरह से समझ सकें. इसके साथ ही खेलकूद गतिविधियों पर भी ध्यान केंद्रित किय गया है, जिससे बच्चों का शारीरिक विकास हो सके. अधिकारियों के मुताबिक नई व्यवस्था को लेकर पूरी कार्ययोजना तैयार की जा रही है. इसके बाद इसे महानिदेशक स्कूल शिक्षा को भेजा जाएगा, जहां से सभी औपचारिकता और प्रकिया पूरी करते हुए इसे धरातल पर प्रभावी बनाया जाएगा.

आने वाले दिनों में इस पर किया जा सकता है फैसला

देश में गुजरात में यह व्यवस्था पहले से लागू है और वहां इसका लाभ छात्रों को मिला है. इसके लिए प्रदेश के बेसिक शिक्षा विभाग के एक प्रतिनिधिमंडल ने बीते दिनों गुजरात में जाकर इसका जायजा लिया था. इसमें शामिल डॉ. सचान के मुताबिक गुजरात में कक्षा छह से आठ के बीच में यह व्यवस्था प्रभावी है. वहां ये बेहद सफल है और छात्रों का इसका लाभ मिला है. उत्तर प्रदेश में भी इस दिशा में कदम उठाए जा रहे हैं. इसके सकारात्मक परिणाम को देखकर बिना बैग के स्कूल आने वाले दिनों की संख्या भविष्य में और बढ़ाई जा सकती है.

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