Chaitra Navratri 2023 : चैत्र नवरात्रि दूसरा दिन, कौन हैं मां ब्रह्मचारिणी, जानें सही पूजा विधि, मंत्र और भोग

Chaitra Navratri 2023: चैत्र नवरात्रि का हिंदू धर्म में खास महत्व है. शुक्रवार को नवरात्रि का दूसरा दिन है. आज मां दुर्गा के दूसरे स्वरूप माता ब्रह्मचारिणी की पूजा होगी. आइए जानते हैं कौन है मां ब्रह्मचारिणी, क्या लगाएं भोग, कथा, मंत्र और पूजा विधि से जुड़ी सभी जानकारी.

By Shweta Pandey | March 23, 2023 8:40 AM

Chaitra Navratri 2023: चैत्र नवरात्रि का हिंदू धर्म में खास महत्व है. शुक्रवार को नवरात्रि का दूसरा दिन है. चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीय तिथि है. आज मां दुर्गा के दूसरे स्वरूप माता ब्रह्मचारिणी की पूजा होगी. मां ब्रह्मचारिणी को सरल, शांत और सौम्य का प्रतीक माना गया है. माता अपनी तप,, त्याग दृढ़ शक्ति के लिए जानी जाती हैं. आइए जानते हैं कौन है मां ब्रह्मचारिणी, क्या लगाएं भोग, कथा, मंत्र और पूजा विधि से जुड़ी सभी जानकारी.

कौन हैं मां ब्रह्मचारिणी

कौन हैं मां ब्रह्मचारिणी (Kaun Hai Maa Brahmacharini) पौराणिक कथाओं में बताया गया है माता सती के आत्मदाह करने के बाद मां पार्वती का जन्म हुआ. मां पार्वती भगवान शिव से विवाह करना चाहती थीं. इसके लिए माता ने कठोर तपस्या की. इस दौरान माता ने ब्रम्हचर्य, त्याग का पालन किया. माता के इस स्वरूप को मां ब्रह्मचारिणी कहते हैं. मां ब्रह्मचारिणी देवी पार्वती के अविवाहित रूप हैं. ब्रह्मचारिणी मां सफेद वस्त्र धारण करती हैं. माता अपने दाहिने हाथ में एक रुद्राक्ष का माला और बाएं हाथ में कमंडल यानी पानी का एक बर्तन ली हुई हैं.

मां ब्रह्मचारिणी को ये लगाएं भोग

  • चैत्र नवरात्रि 2023 का आज दूसरा दिन है. यह दिन मां ब्रह्मचारिणी का है. इस दिन माता रानी को प्रसन्न करने के लिए क्या भोग लगाएं आइए जानते हैं.

  • मां ब्रह्मचारिणी को शक्कर और पंचामृत बेहद पसंद है. इसलिए आज के दिन मां ब्रह्मचारिणी जी को खुश करने के लिए आपको चीनी और पंचामृत का भोग लगाना चाहिए.

  • इसके अलावा माता रानी को प्रसन्न करने के लिए गुड़हल और कमल अर्पित करें, क्योंकि माता को यह दोनों फूल बहुत ही ज्यादा पसंद है.

मां ब्रह्मचारिणी की कथा

पौराणिक कथाओं के अनुसार देवी पार्वती ने पिता दक्ष प्रजापति के घर ब्रह्मचारिणी के रूप में जन्म लिया. देवी पर्वती का यह स्वरूप संत के समान रहा. उन्होंने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए घोर तपस्या का प्रण लिया. हजारों सालों तक माता ब्रह्मचारिणी भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए तपस्या करती रहीं. इस दौरान देवी ब्रह्मचारिणी सिर्फ फल और फूल की पत्तियां खाकर जीवित रहीं. जब भगवान शिव प्रसन्न नहीं हुए तो उन्होंने इन सारी चीजों का भी त्याग कर दिया. इस दौरान मां ब्रह्मचारिणी की इस तपस्या से प्रसन्न होकर ब्रह्मा जी ने उन्हें वरदान दिया कि उनकी सभ मनोकामनाएं निश्चित ही पूरी होगी. भगवान शिव उन्हें पति के रूप में जरूर मिलेंगे.

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मां ब्रह्मचारिणी मंत्र

  • माता रानी ब्रह्मचारिणी को प्रसन्न करने के लिए या देवी सर्वभूतेषु माँ ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।। मंत्र का जाप 108 बार करें.

  • ह्रीं श्री अम्बिकायै नम:। मंत्र का भी जाप कर सकते हैं.

मां ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि

  • चैत्र नवरात्रि के दूसरा दिन आज मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करें.

  • पूजा में पीले या सफेद रंग के वस्त्र का उपयोग करें.

  • माता का पंचामृत से अभिषेक करें.

  • इसके बाद रोली, अक्षत, चंदन, आदि पूजा की चीजें अर्पित करें.

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