मायावती ने दी चेतावनी- संघ अपनी आरक्षण विरोधी मानसिकता त्याग दे तो बेहतर

लखनऊ : बहुजन समाज पार्टी प्रमुख मायावती ने सोमवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर हमला करते हुए कहा कि संघ अपनी आरक्षण विरोधी मानसिकता त्याग दे तो बेहतर है. सोमवार को बसपा नेता ने ट्वीट कर कहा, आरएसएस का एससी/एसटी/ओबीसी आरक्षण के संबंध में यह कहना कि इस पर खुले दिल से बहस होनी चाहिए, […]

By Prabhat Khabar Print Desk | August 19, 2019 4:00 PM

लखनऊ : बहुजन समाज पार्टी प्रमुख मायावती ने सोमवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर हमला करते हुए कहा कि संघ अपनी आरक्षण विरोधी मानसिकता त्याग दे तो बेहतर है.

सोमवार को बसपा नेता ने ट्वीट कर कहा, आरएसएस का एससी/एसटी/ओबीसी आरक्षण के संबंध में यह कहना कि इस पर खुले दिल से बहस होनी चाहिए, संदेह की घातक स्थिति पैदा करता है जिसकी कोई जरूरत नहीं है. आरक्षण मानवतावादी संवैधानिक व्यवस्था है जिससे छेड़छाड़ अनुचित व अन्याय है. संघ अपनी आरक्षण-विरोधी मानसिकता त्याग दे तो बेहतर है. मायावती का यह बयान संघ प्रमुख मोहन भागवत के रविवार को दिल्ली में दिये गये एक बयान के बाद आया है. मोहन भागवत ने रविवार को कहा था कि जो आरक्षण के पक्ष में हैं और जो इसके खिलाफ हैं उन लोगों के बीच इस पर सद्भावनापूर्ण माहौल में बातचीत होनी चाहिए.

भागवत ने कहा था कि उन्होंने पहले भी आरक्षण पर बात की थी, लेकिन इससे बहुत हंगामा मचा और पूरी चर्चा वास्तविक मुद्दे से भटक गयी. भागवत रविवार को ‘ज्ञान उत्सव’ के समापन सत्र में बोल रहे थे जो प्रतियोगी परीक्षाओं पर था. ज्ञान उत्सव का आयोजन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास द्वारा यहां इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय (इग्नू) में किया गया था.

वहीं, भागवत की टिप्पणी को लेकर कांग्रेस ने भाजपा पर आरोप लगाया कि दलितों एवं पिछड़ों को मिला आरक्षण खत्म करना ही सत्तारूढ़ पार्टी का असली एजेंडा है. भावगत के बयान से जुड़ी खबर ट्विटर पर शेयर करते हुए कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने दावा किया, गरीबों के अधिकारों पर हमला, संविधान सम्मत अधिकारों को कुचलना, दलितों-पिछड़ों के अधिकार छीनना यही असली भाजपाई एजेंडा है. उन्होंने यह भी कहा, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ-भाजपा का दलित-पिछड़ा विरोधी चेहरा उजागर हुआ. गरीबों के आरक्षण को खत्म करने का षड्यंत्र और संविधान बदलने की उनकी अगली नीति बेनकाब हुई.

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