देशद्रोह का मामला : संसद सत्र खत्म होते ही आप नेता संजय सिंह को हाजिर होने का आदेश

देशद्रोह के मामले में लखनऊ की हजरतगंज कोतवाली में 20 सितंबर को तलब किए गए आम आदमी पार्टी (आप) के राज्यसभा सदस्य संजय सिंह को शनिवार को संसद सत्र जारी होने का हवाला देते हुए सत्र समाप्त होने के दो दिन बाद हाजिर होने को कहा गया है .

By PankajKumar Pathak | September 19, 2020 9:21 PM

लखनऊ : देशद्रोह के मामले में लखनऊ की हजरतगंज कोतवाली में 20 सितंबर को तलब किए गए आम आदमी पार्टी (आप) के राज्यसभा सदस्य संजय सिंह को शनिवार को संसद सत्र जारी होने का हवाला देते हुए सत्र समाप्त होने के दो दिन बाद हाजिर होने को कहा गया है .

सिंह ने संसद सत्र के दौरान उन्हें कोतवाली में तलब किए जाने को लेकर राज्य सरकार के विवेक पर सवाल उठाते हुए कहा कि शनिवार को किए गए इस भूल सुधार से देश के सर्वोच्च सदन की गरिमा की रक्षा हुई है. वैमनस्य फैलाने के आरोप में संजय सिंह पर पिछली दो सितंबर को लखनऊ कि हजरतगंज कोतवाली में दर्ज मुकदमे में गत बृहस्पतिवार को देशद्रोह की धारा भी जोड़ दी गई थी.

मामले के विवेचक अनिल कुमार सिंह ने गत बृहस्पतिवार को इस सिलसिले में एक नोटिस जारी कर संजय सिंह को मुकदमे के सिलसिले में रविवार 20 सितंबर को हजरतगंज कोतवाली में हाजिर होने को कहा था. मगर शनिवार देर शाम उन्हें एक पत्र जारी कर कहा गया कि चूंकि संसद का सत्र चल रहा है लिहाजा वह सत्र समाप्ति के दो दिन बाद कोतवाली में हाजिर हों.

Also Read: कृषि बिल के विरोध की क्या होगी रणनीति, कांग्रेस ने बुलायी बैठक

सिंह ने इस मामले पर ‘भाषा’ से बातचीत में कहा “इस भूल सुधार से देश के सर्वोच्च सदन की गरिमा की रक्षा हुई है. संसद या विधानमंडल के किसी सदस्य को सत्र चलने के दौरान इस तरह से समन नहीं किया जा सकता. ऐसा लगता है कि उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार को यह नहीं पता था कि इस वक्त संसद सत्र चल रहा है. यही वजह है कि गत 17 सितंबर को मुझे नोटिस थमाई गई कि आपको 20 सितंबर को हजरतगंज कोतवाली में हाजिर होना है.”

उन्होंने कहा” मैंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरपरस्ती में उत्तर प्रदेश में चल रहे जातिवाद, ब्राह्मणों को निशाना बनाए जाने और दलितों पर हो रहे जुल्म के खिलाफ आवाज बुलंद की. इससे योगी आदित्यनाथ सरकार बौखला गई और मेरे ऊपर गलत तरीके से देशद्रोह का मुकदमा दर्ज कर दिया.”

सिंह ने कहा कि उन्होंने वह सर्वे कराकर देशद्रोह का कोई काम नहीं किया, बल्कि सच्चाई बयान की है. उन्होंने कहा, ‘‘ साल 2017 के विधानसभा चुनाव के वक्त खुद भाजपा ने तत्कालीन अखिलेश यादव सरकार के खिलाफ भी ऐसा ही सर्वे किया था. अगर मेरे द्वारा कराया गया सर्वे देशद्रोह है तो भाजपा का वह सर्वे भी देशद्रोह की श्रेणी में आता है.” आप सांसद ने कहा कि उन्होंने उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों में अपने खिलाफ दुर्भावनापूर्ण तरीके से दर्ज कराए गए तमाम मुकदमों और सीतापुर में पुलिस द्वारा जबरन रोके जाने के मामले को विशेषाधिकार समिति के समक्ष उठाया है और सभापति वेंकैया नायडू ने इस मामले में जांच कराकर कार्रवाई करने का आश्वासन दिया.

साथ ही इस मुद्दे पर उन्हें अनेक विपक्षी दलों का सहयोग भी मिला है. संजय सिंह पर हाल में अलीगढ़, लखीमपुर खीरी, संत कबीर नगर और राजधानी लखनऊ समेत विभिन्न जिलों में जातीय वैमनस्य फैलाने के आरोप में 13 मुकदमे दर्ज हुए थे. कुछ दिन पहले उत्तर प्रदेश में एक ऑडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था जिसमें प्रदेश सरकार पर जाति के आधार पर लोगों के काम करने का आरोप लगा था.

राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने यह सर्वे करवाने की बात कही थी, जिसके बाद लखनऊ की हजरतगंज कोतवाली में सांसद के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था. बृहस्पतिवार को इसी मुकदमे में राजद्रोह के साथ-साथ साजिश रचने और धोखाधड़ी की धाराएं बढ़ाई गई हैं. संजय सिंह पर आईटी एक्ट भी लगाया गया है. संजय सिंह के अलावा इस मामले में सर्वे करने वाली निजी कंपनी के तीन निदेशकों पर भी राजद्रोह और धोखाधड़ी की धारा बढ़ाई गई हैं.

Posted By – Pankaj Kumar Pathak

Next Article

Exit mobile version