मुख्तार अब्बास नकवी के बयान पर मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने किया पलटवार

लखनऊ : ऑल इण्डिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड ने योग, सूर्य नमस्कार और गीता पाठ को लेकर उसकी आपत्तियों पर केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी के तल्ख बयान को गुमराह करने वाला बताते हुए कहा कि इस्लाम में अल्लाह के अलावा किसी और के लिए सजदा करना गुनाह है. बोर्ड के प्रवक्ता अब्दुल रहीम कुरैशी […]

By Prabhat Khabar Print Desk | June 10, 2015 2:17 PM

लखनऊ : ऑल इण्डिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड ने योग, सूर्य नमस्कार और गीता पाठ को लेकर उसकी आपत्तियों पर केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी के तल्ख बयान को गुमराह करने वाला बताते हुए कहा कि इस्लाम में अल्लाह के अलावा किसी और के लिए सजदा करना गुनाह है.

बोर्ड के प्रवक्ता अब्दुल रहीम कुरैशी ने हर आसन में कोई ना कोई श्लोक है. सूर्य नमस्कार आसन में हाथ जोडकर सूरज को सजदा किया जाता है. मैं नकवी साहब से पूछना चाहता हूं कि क्या इस्लाम में अल्लाह के सिवा किसी और का सजदा करने की इजाजत है ?’’ उन्होंने कहा ‘‘जो लोग इस्लाम में ईमान रखते हैं, वे सिर्फ अल्लाह की इबादत में ही सजदा कर सकते हैं. अगर योग को उसकी असल रस्मों के साथ स्कूलों में अनिवार्य रुप से लागू किया जाएगा, तो वह अल्लाह के साथ दूसरी चीजों को भी उसके समकक्ष करने के बराबर होगा.
यह बहुत बडा गुनाह होगा. बोर्ड की आपत्ति केवल इसी बात पर है.’’योग को सिर्फ सेहत तक सीमित रखने और उसे धर्म से ना जोडने की अल्पसंख्यक मामलों के राज्य मंत्री नकवी की सलाह पर कुरैशी ने कहा कि यह गुमराह करने वाली बात है, क्योंकि जब योग को स्कूलों में लागू किया जाएगा तो सरकार मुस्लिम बच्चों के परिवारों की धर्म सम्बन्धी आपत्तियों को दरकिनार करके उसे उसके असल रुप में ही लागू करेगी. सरकार इस मुद्दे पर अपना रख क्यों नहीं स्पष्ट करती. उन्होंने कहा, बच्चों के तालीमी इंतजामात को बेहतर बनाने के बजाय उन पर अपनी मजहबी रस्मों को थोपना कतई गैर-मुनासिब है.’’
गौरतलब है कि योग, सूर्य नमस्कार और गीता पाठ के मुद्दे पर ऑल इण्डिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड द्वारा कडी आपत्ति दर्ज कराये जाने के बीच नकवी ने कल कहा था कि अज्ञानतावश उठाये गये एक बिना बात के मुद्दे को लेकर मुसलमानों को उनके धार्मिक ठेकेदार ‘गुमराह’ कर रहे हैं.नकवी ने यहां संवाददाताओं से बातचीत में बोर्ड द्वारा योग का विरोध किये जाने के बारे में पूछे जाने पर कहा था ‘‘अफसोस की बात है कि बिना बात के मुद्दे के चक्रव्यूह में इस देश के अल्पसंख्यकों खासकर मुसलमानों को उनके धार्मिक ठेकेदार फंसा रहे हैं, लेकिन उन्हें यह समझना चाहिये कि यह गुमराह करने का चलन बहुत दिन तक नहीं चलेगा.’
’ सूर्य नमस्कार और गीता पाठ को पाठ्यक्रम में शामिल करके थोपे जाने की मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड की आपत्ति के बारे में नकवी ने कहा ‘‘मुझे लगता है कि जो हमारे उलमा (मुस्लिम धर्मगुरू) हैं, मैं बहुत अदब के साथ उनसे कहना चाहूंगा कि अगर वो इसकी आधा फीसद ताकत भी देश के मुसलमानों की शिक्षा, उनके सशक्तिकरण और उनके बुनियादी सवालों के लिये लगाते तो उनका भी भला होता और देश का भी भला होता.’’

Next Article

Exit mobile version